अमंगल को मंगल में बदल देते हैं देवताओं के ये मंत्र, खुद की भलाई के लिए रोज करें जाप

Update:2017-05-06 12:31 IST

लखनऊ: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा और मंत्र जाप का बहुत महत्व है। इसमें अपार शक्ति भी होती है। कई मंत्र ऐसे होते हैं जिनके जपने से हर संकट दूर हो जाते हैं। अलग- अलग देवताओं के अलग-अलग मंत्रों से पूजा होती है। धर्मग्रंथों के अनुसार सफलता, समृद्धि व इच्छाएं पूरी करने के लिए ये मंत्र बहुत आवश्यक है। ईष्टसिद्धि का मतलब है कि व्यक्ति जिस देव शक्ति के लिए श्रद्धा और आस्था मन में बना लेता है, उस देवता से जुड़ी सभी शक्तियां, प्रभाव और चीजें उसे मिलने लगती हैं।

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ईष्टसिद्धि में मां गायत्री का ध्यान बहुत शुभ होता है। गायत्री उपासना के लिए गायत्री मंत्र बहुत ही चमत्कारी और शक्तिशाली माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक इस मंत्र के 24 अक्षर 24 महाशक्तियों के प्रतीक हैं। एक गायत्री के महामंत्र द्वारा इन देव-शक्तियों का स्मरण हो जाता है।

24 देव शक्तियों के ऐसे 24 चमत्कारी गायत्री मंत्र में से, जो देवी-देवता आपके इष्ट है, उनका विशेष देव गायत्री मंत्र बोलने से चमत्कारी फल प्राप्त होगा। शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों की प्राप्ति के लिए गायत्री उपासना सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। गायत्री ही वह शक्ति है जो पूरी सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कारण है। वेदों में गायत्री शक्ति ही प्राण, आयु, शक्ति, तेज, कीर्ति और धन देने वाली मानी गई है। गायत्री मंत्र को महामंत्र पुकारा जाता है, जो शरीर की कई शक्तियों को जाग्रत करता है। ईष्टसिद्धी से मनचाहा काम बनाने के लिए गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के हर देवता विशेष के मंत्रों का स्मरण करें।

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श्रीगणेश – मुश्किल कामों में कामयाबी, बाधा को दूर करने, बुद्धि लाभ के लिए इस गणेश गायत्री मंत्र का स्मरण करना चाहिए।

ॐ एकदृंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।

नृसिंह – शत्रु को हराने, बहादुरी, भय व दहशत दूर करने, पुरुषार्थी बनने व किसी भी आक्रमण से बचने के लिए नृसिंह गायत्री असरदार साबित होता है ।

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्।

विष्णु – पालन-पोषण की क्षमता व काबिलियत बढ़ाने या किसी भी तरह से सबल बनने के लिए विष्णु गायत्री का महत्व है ।

नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।

शिव – दायित्वों व कर्तव्यों को लेकर दृढ़ बनने, अमंगल का नाश व शुभता को बढ़ाने के लिए शिव गायत्री मंत्र बड़ा ही प्रभावी माना गया है ।

ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

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कृष्ण सक्रियता, समर्पण, निस्वार्थ व मोह से दूर रहकर काम करने, खूबसूरती व सरल स्वभाव की चाहत कृष्ण गायत्री मंत्र पूरी करता है ।

ॐ देवकीनन्दाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।

राधा प्रेम भाव को बढ़ाने व द्वेष या घृणा को दूर रखने के लिए राधा गायत्री मंत्र का स्मरण बढ़ा ही लाभ देता है।

ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।

लक्ष्मी – रुतबा, पैसा, पद, यश व भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत लक्ष्मी गायत्री मंत्र शीघ्र पूरी कर देता है।

ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

अग्रि ताकत बढ़ाने, प्रभावशाल व होनहार बनने के लिए अग्निदेव का स्मरण अग्नि गायत्री मंत्र से करना शुभ होता है।

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

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इन्द्र – संयम के जरिए बीमारियों, हिंसा के भाव रोकने व भूत-प्रेत या अनिष्ट से रक्षा में इन्द्र गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है ।

ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्।

सरस्वती – बुद्धि व विवेक, दूरदर्शिता, चतुराई से सफलता मां सरस्वती गायत्री मंत्र से फौरन मिलती है ।

ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।

दुर्गा – विघ्नों के नाश, दुर्जनों व शत्रुओं को मात व अहंकार के नाश के लिए दु्र्गा गायत्री मंत्र का महत्व है-

ॐ गिरिजायै विद्महे शिव धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

हनुमानजी – निष्ठावान, भरोसेमंद, संयमी, शक्तिशाली, निडर व दृढ़ संकल्पित होने के लिए हनुमान गायत्री मंत्र का अचूक माना गया है ।

ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुतिः प्रचोदयात्।

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पृथ्वी – पृथ्वी गायत्री मंत्र सहनशील बनाने वाला, इरादों को मजबूत करने वाला व क्षमाभाव बढ़ाने वाला होता है ।

ॐ पृथ्वी देव्यै विद्महे सहस्त्र मूर्त्यै धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।

सूर्य – निरोगी बनने, लंबी आयु, तरक्की व दोषों का शमन करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है ।

ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य्यः प्रचोदयात्।

राम – धर्म पालन, मर्यादा, स्वभाव में विनम्रता, मैत्री भाव की चाहत राम गायत्री मंत्र से पूरी होती है ।

ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।

सीता – सीता गायत्री मंत्र मन, वचन व कर्म से विकारों को दूर कर पवित्र करता है। साथ ही स्वभाव मे भी मिठास घोलता है ।

ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्।

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चन्द्रमा – काम, क्रोध, लोभ, मोह, निराशा व शोक को दूर कर शांति व सुख की चाहत चन्द्र गायत्री मंत्र से पूरी होती है ।

ॐ क्षीरपुत्रायै विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्।

यम – मृत्यु सहित हर भय से छुटकारा, वक्त को अनुकूल बनाने व आलस्य दूर करने के लिए यम गायत्री मंत्र असरदार होता है ।

ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यमः प्रचोदयात्।

ब्रह्मा किसी भी रूप में सृजन शक्ति व रचनात्कमता बढ़ाने के लिए ब्रह्मा गायत्री मंत्र मंगलकारी होता है ।

ॐ चतु्र्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

वरुण दया, करुणा, कला, प्रसन्नता, सौंदर्य व भावुकता की कामना वरुण गायत्री मंत्र पूरी करता है ।

ॐ जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

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नारायण – चरित्रवान बनने, महत्वकांक्षा पूरी करने, अनूठी खूबियां पैदा करने व प्रेरणास्त्रोत बनने के लिए नारायण गायत्री मंत्र शुभ होता है ।

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायणः प्रचोदयात्।

हयग्रीव – मुसीबतों को पछाड़ने, बुरे वक्त को टालने, साहसी बनने, उत्साह बढ़ाने व मेहनती बनने के कामना ह्यग्रीव गायत्री मंत्र पूरी करता है ।

ॐ वाणीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीवः प्रचोदयात्।

हंस – यश, कीर्ति पीने के साथ संतोष व विवेक शक्ति जगाने के लिए हंस गायत्री मंत्र असरदार होता है ।

ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्।

तुलसी – सेवा भावना, सच्चाई को अपनाने, सुखद दाम्पत्य, शांति व परोपकारी बनने की चाहत तुलसी गायत्री मंत्र पूरी करता है ।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

ये सारे मंत्र देवशक्तियों से संपन्न होते हैं। जाग्रत, आत्मिक और भौतिक शक्तियों से संपन्न मानी गई है और साधक की हर कामना को पूरा करने वाले होते है। ईष्टसिद्धि के नजरिए से मात्र एक मंत्र से ही 24 देवताओं का ईष्ट और उनसे जुड़ी शक्ति पाना साधक को सिद्ध बना देता है। इसलिए हर किसी को प्रात:काल उठकर इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

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