जयपुर: विवाह तय करने के संबंध में आमतौर पर कई लोग िसर्फ गुण मिलान करके ही निश्चिंत हो जाते हैं, जबकि कुंडली मिलान उससे कहीं अधिक आवश्यक है। इसके अभाव में दांपत्य जीवन को आगे चल कर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर हम थोड़ी-सी जानकारी रखें और समझदारी बरतें, तो वर-वधू का जीवन सुखद, सुंदर एवं सर्वोत्तम बना सकते हैं।
गुण मिलान नाम द्वारा होता है जो शादी से पहले लड़के और लड़की के 36 गुणों को मिलान किया जाता है।गुण मिलान या कुंडली मिलान से यह पता चलता है की लड़का और लड़की की आगे ज़िन्दगी कैसे बीतेगी और शादी योग्य है की नहीं। इसलिए पंडित कुंडलियो का मिलान कर पता करते है की वर वधु एक दूसरे के लिए कितने योग्य हैं इसे विवाह के लिए कुंडली मिलान कहते हैं।
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जानिए कि गुण मिलान भी नाम द्वारा करने से यह अर्थ है की लड़का और लड़की दोनों के नाम का नक्षत्रो के हिसाब से गुणों का मिलान करना इससे दोनों के नाम से पता चल पाता है की दोनों के कितने गुण मिलते है 36 को सर्वगुण संपन्न माना जाता है। शादी से पहले दोनों लड़का व लड़की का परिवार अपने पंडित य ज्योतिष से मिलकर दोनों के गुणों को मिलवाते हैं । इसमें चांद का दोनों की गृह राशि में स्थान पता कर गुणों का पता किया जाता है।
विवाह मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार मे बंधने से पूर्व वर एवं कन्या के जन्म नामानुसार गुण मिलान करके की परिपाटी है। गुण मिलान नहीं होने पर सर्वगुण सम्पन्न कन्या भी अच्छी जीवनसाथी सिद्ध नहीं होगी। गुण मिलाने हेतू मुख्य रूप से अष्टकूटों का मिलान किया जाता है। ये अष्टकूट है, वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रहमैत्री,गण, राशि, नाड़ी।
विवाह के लिए भावी वर-वधू की जन्म-कुंडली मिलान करते नक्षत्र मेलापक के अष्टकूटों (जिन्हे गुण मिलान भी कहा जाता है) में नाडी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
अष्टकूट कारक गुणों की संख्या
वरुणा 1
वश्या 2
तारा 3
योनि 4
ग्रह मैत्री 5
गण 7
भकूट 7
नादी 8
कुल 36
आखिर के तीन कूट स्पष्ट रूप से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे 36 के कुल स्कोर के 50% से अधिक होते हैं। कुल मिलाकर का 8 कारक होते हैं जिसे अष्टकूट भी कहा जाता है इसमें ३६ गुण होते है जितने ज़्यादा गुणों का मिलान उतना ज़्यादा अच्छा व शुभ मन जाता है रिश्ता ।