अतिथि देवो भव! इस तरह लगाइए पता ये सत्य है या असत्य

Update:2017-11-05 09:56 IST

जयपुर: भारतीय सभ्यता और संस्कृति में अतिथि को भगवान माना गया है और कभी भी इनका अपमान नहीं करने की बात कही गई है। लेकिन हर अतिथि भगवान नहीं होता, कुछ अपने साथ विपत्तियां और परेशानियां लेकर आते हैं। मनुस्मृति में वर्णित एक श्लोक (पाषण्डिनो विकर्मस्थान्बैडालव्रतिकांछठान्। हैतुकान्वकवृत्तींश्च वाड्मात्रेणापि नार्चयेत्।।) के अनुसार पाखंडी, धूर्त-चालाक (दूसरों को बेवकूफ बनाकर अपना हित साधने वाले), स्वार्थी तथा धर्म-शास्त्रों में विश्वास ना रखने वाले लोगों को कभी भी अतिथि नहीं बनाना चाहिए। इसलिए जितना संभव हो इनसे दूर रहें और रिश्ता बनाने की कोशिश ना करें। अगर ये घर अचानक आ धमकते हैं तो हमारी सलाह यही होगी कि इनका आवभगत करने की बजाय जितना संभव हो, जितनी जल्दी हो सके अपने घर से दूर जाने के प्रयास करें।

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पाखंडी लोग हमेशा दो चेहरे वाले होते हैं। ये भले ही दिल से किसी का हित ना चाहें, लेकिन सामने इस प्रकार व्यवहार करेंगे जैसे इनसे बड़ा कोई हितैषी हो ही नहीं सकता। ऐसे लोगों को ना धर्म में विश्वास होता है और ना ही इंसानियत में। इसलिए अपनी जरूरत पड़ने पर या अपना हित साधने के लिए कब ये दुश्मन बन जाएंगे पता भी नहीं चलेगा। ये विश्वास जीतते हैं और फिर धोखा करते हैं, इसलिए चाहकर भी अपना बचाव नहीं कर पाएंगे। घर में रहते हुए ये और भी आसानी से अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं।

ऐसे में हार और बर्बादी निश्चित हो जाती है। ये वे लोग होते हैं जो दूसरी बातों में उलझाकर कब अपना काम कर जाएंगे पता नहीं चलेगा। इनकी चालाकी नुकसान के लिए भी हो सकता है, इसलिए अगर किसी का ऐसा स्वभाव पता हो तो भूलकर भी अतिथि के रूप में इन्हें घर में ना रखें। ये कब और किस प्रकार से नुकसान पहुंचाएंगे अंदाजा भी नहीं लगा सकेंगे। स्वार्थी लोग अमूमन बिना मकसद के घर कभी नहीं आएंगे। इसलिए अगर कोई स्वार्थी व्यक्ति घर अतिथि बनकर आए तो सबसे पहले तो यह समझ लें कि जरूर वह अपने किसी फायदे के लिए ही पास आया होगा।

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ऐसे लोगों को अपने घर अतिथि बनाना इसलिए नुकसानदेह होगा, क्योंकि जरूरत पड़ने पर अपने स्वार्थ के लिए ये हो रहे नुकसानों को भी नजरअंदाज कर देंगे। सबसे बड़ी बात कि आगे भी ना तो उसके लिए ये कोई आभार मानेंगे और ना ही नुकसानों की कोई जिम्मेदारी लेंगे। पाखंडी लोगों के बाद अतिथि के रूप में ये सबसे अधिक घातक होते हैं।

ऐसे लोग स्वभाव से ही जलन की प्रवृत्ति वाले होते हैं जो दूसरों की खुशी नहीं देख सकते। इन्हें धर्म और शास्त्रों में भी कोई विश्वास नहीं होता और खुद से ज्यादा खुश किसी को नहीं देख सकते। खुशी देखकर भी ये किसी ना किसी प्रकार उसपर आघात करने का प्रयास अवश्य करेंगे। इसमें इनका कोई फायदा नहीं होता, बल्कि दूसरों को दुखी देखकर इन्हें खुशी महसूस होती है, बस इसीलिए ऐसा करते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को अपने घर में अतिथि बनाने का अर्थ है परिवार की खुशहाली को दांव पर लगाना। एक बार ये घर आ गये तो तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि परिवार में द्वेष और कलुष ना पैदा कर दें। हो सकता है, परिवार में ऐसे मनमुटाव पैदा हों जिसके घाव जिंदगी भर ना भर सकें।

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