लखनऊ: अक्सर घर के बड़ें लोगों से आप गुरुवार को बाल धोते होंगे तो डांट सुनते होंगे। पर समय के साथ सोच जरुर बदली होगी। लेकिन फिर भी आज के समय में गुरूवार को बाल धुलने से पहले एक बार विचार जरुर मन में आता है कि बाल धोएं या ना धोएं। शायद आपको पता हो कि हिंदू धर्म में बृहस्पतिवार को सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। बृहस्पति देव की आराधना करने के कारण इसे बृहस्पतिवार या गुरूवार कहा जाता है। इस दिन पूजा करके लोग अपने और अपनों से जुड़ें लोगों की स्वास्थ्य और सुख की कामना करते हैं।
ये वजह है बाल ना धोने के पीछे
इस दिन सिर न धुलने के पीछे एक मान्यता है कि एक अमीर व्यवसायी और उसकी पत्नी रहते थे। वो दोनों बहुत खुश थे और सम्पन्न जीवन व्यतीत कर रहे थे। पत्नी, घरेलू स्त्री थी और बहुत कंजूस थी। उसे दान देना पसंद नहीं था। एक बार एक भिक्षुक ने उससे कुछ खाने को मांगा, जब उसके पति घर पर नहीं थे। लेकिन महिला ने उत्तर दिया कि वो अभी घरेलू कामों में व्यस्त है, वो बाद में आएं। इस तरह वह भिक्षुक कई दिन तक अलग-अलग समय पर आता रहा, लेकिन हर बार महिला इसी तरह उसे मना कर देती थी, कि वह घर के कामों में व्यस्त है। एक दिन भिखारी ने महिला से पूछा कि वह कब खाली समय में रहती है, जब भोजन दे सकें, तो महिला को क्रोध आ गया, वो गुस्सा गई और उससे बोली कि पहले अपनी ओर देखो, मैं कभी खाली नहीं रहूंगी। तब उस भिखारी ने कहा कि बृहस्पतिवार को सिर धुल लेना, तुम हमेशा के लिए खाली हो जाओगी। औरत ने भिखारी की बात को हंसी में उड़ा दिया और रोज की तरह बाल धुलती रही।
आपको बता दें कि उस महिला ने ऐसा किया और बृहस्पतिवार को भी बाल धो लिए। फिर क्या, उस महिला के घर सारा धन बर्बाद हो गया और सारी खुशियां चली गई। अब वो दोनों पति-पत्नी रोटी के एक-एक टुकड़े के लिए तरसने लगे। फिर से वह भिखारी उस महिला को मिला। तो महिला ने अपना हाल उसे बताया। बाद में, उस दम्पती को एहसास हुआ कि वह भगवान बृहस्पतिवार का रूप था, जो भिखारी का वेश धारण करके भिक्षा मांगने आते थे।
उस दिन से औरत ने बृहस्पतिवार के दिन बालों को धुलना बंद कर दिया और भगवान बृहस्पति की पूजा करनी शुरू कर दी। उन्हे पीले रंग के फूल और भोजन चढ़ाने लगी। धीमे-धीमे वह लोग फिर से खुशहाल हो गए।
रविवार को धुले बाल
इसी के साथ ही आपको बता दें कि ब्रहस्पतिवार, भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी की पूजा करने के लिए पवित्र दिन होता है। इस दिन बाल धुलने से उनका आर्शीवाद नहीं मिलता है और घर में सम्पन्नता नहीं आती है। इसीलिए गुरूवार को बालों को धुलने के लिए हर कोई मना करता है। वैसे भी आप सप्ताह में हर दिन बालों को नहीं धुलती हैं, तो ऐसा शेड्यूल बनाएं कि आपको गुरूवार को बाल न धुलना पड़े। इससे आपकी बात भी रह जाएगी और आपकी श्रद्धा भी रह जाएगी। हिंदू धर्म में बालों को धुलने के लिए रविवार सबसे अच्छा दिन माना जाता है। गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को बाल धुलना, हिंदू धर्म में मान्य नहीं है।