जयपुर: किसी भी हथेली में हृदय रेखा वह रेखा है जो दिल से जुड़ी भावनाओं के विषय में बताती है। साथ ही किसी पुरुष के हाथ में हृदय रेखा संतान के जन्म का भी इशारा करती है। सामान्यत:किसी भी हथेली में हृदय रेखा तर्जनी उंगली या मध्यमा उंगली से शुरू होकर बुध पर्वत के नीचे तक जाती है।
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हृदय रेखा तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच से शुरू हुई हो तो ऐसे व्यक्ति स्वभाव के सच्चे एवं शांत स्वभाव के होते हैं। किसी पुरुष के हाथ में हृदय रेखा संतान के होने या न होने के बारे में भी बताती है। हृदय रेखा अंतिम सिरे पर श्रृंखलाकार हो तो यह लक्षण संतानोत्पत्ति का है। यदि यह रेखा श्रृंखलाकार नहीं है तो संतान नहीं होती अथवा बहुत देरी से होती है। यदि दोनों हथेलियों में ऐसी रेखा हो तो और ज्यादा प्रभावशाली होती है।
हृदय रेखा शनि क्षेत्र से शुरू हुई हो और सूर्य पर्वत तक पंहुच रही हो तो प्रेम में वासना होती है। ऐसा योग होने पर पूरी तरह से व्यक्ति का स्वार्थी व्यवहार हो सकता है।
हृदय रेखा एक छोर से शुरु होकर दूसरे छोर तक जाए तो वह वर्तमान में जीने वाला स्वभाव होता है। वे सपनों की दुनिया से दूर रहते हैं। स्वभाव से भावुक एवं ईर्ष्यालु भी हो सकते हैं।
हृदय रेखा का लाल होना और अधिक गहरा होने से स्वभाव से तेज हो सकते हैं। किसी बुरी आदत का शिकार भी बन सकते हैं। दो हृदय रेखा हों, लेकिन उनमें किसी भी प्रकार का दोष न हो तो बुद्धि सात्विक होती है। हृदय रेखा का मध्य में टूटना प्रेम संबंधो में बिखराव हो सकता है।
हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनों एक छोर से शुरु होकर हथेली के दूसरे छोर पर तक जाए तो किसी की परवाह नहीं करने वाला स्वभाव हो सकता है। हृदय रेखा पतली हो। गहरी न होकर हल्की होने से स्वभाव रुखा हो सकता है।
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यदि हृदय रेखा गुरु पर्वत से शुरू होती है। तो यह दृढ़ निश्चयी और आदर्शवादी होने का संकेत है। हृदय रेखा तर्जनी उंगली के मूल से शुरू हो तो मानसिक रुप से परेशान रह सकते हैं। हथेली में हृदय रेखा न हो या बहुत छोटी हो तो यह प्रेम संबंधों में असफलता मिल सकती है।