साजन लगे तुझे मेरी उमरिया, हर साल मैं करूं तीज ओ सांवरिया

Update: 2016-09-02 08:44 GMT

सुमन मिश्रा

लखनऊ: हिंदू धर्म में पति को परमेश्वर मानने की परंपरा सदियों पुरानी है और पति की सलामती के लिए युगों-युग से पत्नियां प्राथनाएं करती आ रही हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में देवियों के महात्मय का भी वर्णन है। जिन्होंने अपने पतियों के लिए हजारों साल तप किया तो उन्हें पति रुप में पाया है। मां पार्वती, माता सती, माता सीता सबने पति की सलामती के लिए कठोर तपस्या कर सतीत्व का वरदान पाया है। ये तो हुई सतयुग की बातें, आज भी महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत पूजा पाठ करती हैं।

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कभी चौथ, तो कभी करवा चौथ और कभी तीज का निर्जला व्रत करती है। ऐसा ही एक कठिन और निर्जला व्रत है हरितालिका तीज। जो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है। ये व्रत ज्यादातर सुहागिनें करती है। उत्तर भारत में ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को पार्वती जी ने शादी से पहले किया था। इस साल भी हरितालिका तीज 4 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस व्रत को लेकर महिलाओं में बहुत उत्साह रहता है।

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इस बार का मुहूर्त और पारण

इस बार 3 सिंतबर को 3:30 बजे से तृतीया तिथि लग जाएगा। 2:25 बजे से हस्ता नक्षत्र भी शुरू हो रहा है़, जो 4 सितंबर को शाम 4.18 मिनट तक रहेगा। 4 सितंबर को उदया तिथि में तृतीया होने के कारण तीज रविवार को है। वैसे तो तीज की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए, लेकिन रविवार को ही चतुर्थी तिथि लग जाने की वजह से इस दिन पहले ही पूजा करना ठीक होगा, लेकिन पारण 5 सितंबर को ही होगा।

मान्यता

तीज के पीछे की कथा है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए जंगल में जाकर कर हजारों साल तक कठोर तपस्या की थी। तब जाकर उन्हें भोले बाबा मिले थे। इस दिन सुहागिनों को गणेश,पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ स्त्रियां रखती है। यह व्रत बड़ा कठिन है क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है। इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष महत्व है। कहते हैं इस व्रत को करने से महिलाओं को उनके पति का साथ 7 जन्मों तक मिलता है।

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क्या कहती हैं सुहागिन तीज को लेकर

वैसे तो व्रत के नियम और परंपरा तो व्रती को अच्छी तरह से पता होता है कि इ दिन सोना नहीं चाहिए, व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए और नियमों का पालन शुद्ध मन से करना चाहिए। कुछ-कुछ इस व्रत को लेकर सुहागिने भी ऐसे ही मन की बातों को बयां करती है।

दूर रह कर भी है पिया मेरे पास

वैसे तो कोई भी व्रत खिन्न मन से नहीं करना चाहिए। उत्साह और प्रेम से किए गए व्रत का फल व्यर्थ नहीं जाता है। ये कहना है लखनऊ की मंजू मिश्रा का। उनके पति विदेश में रहते है ये हर साल व्रत करती हैं। कभी पति का इनको साथ मिलता तो कभी नहीं भी मिलता, लेकिन कई सालों से ये पूरे उत्साह से हर साल व्रत करती रही है। दूरी भी इनके पति के प्यार-विश्वास को कम नहीं करता है और इनका मानना है कि ये सब इनके व्रत और भगवान के आशीर्वाद से होता है।

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बढ़ता है प्यार और विश्वास

पेशे से टीचर अभिलाषा पांडे की शादी के 7 साल हो गए हैं। फिर भी ये अपने पहले तीज के अनुभव को आज भी जहन में संजोकर रखी हैं। सास की ओर से मिल सरगी और पति का दिया पहला सरप्राइज गिफ्ट आज भी उन्हें याद है। वह कहती हैं कि वे हर साल तीज व्रत करती हैं। इससे इनके बीच का रिश्ता गहरा होता जाता है। प्यार और विश्वास बढ़ता जाता है और सबसे बड़ी बात पति का प्यार साथ जो उनके उत्साह और जीवन जीने की उमंग को बढ़ाता है। ये हर साल पूरे नियम से निर्जला रहकर व्रत करती है और ईश्वर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है।

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पहली तीज की यादें है खास

इस्माइलगंज लखनऊ की रहने वाली पूजा श्रीवास्तव पिछले 11 सालों से पूरे उत्साह और विश्वास से तीज करती आ रही है। जब पहली तीज में मायके और ससुराल से जो तोहफे मिले उससे उन्हें बहुत खुशी मिली। आज भी वे वैसे ही निर्जल व्रत करती है। इससे उनके और पति के बीच अच्छी बॉन्डिंग है और एक दूसरे के पर्ति प्यार और समर्पण भी है।

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साजन मेरी उमरिया तुझे लग जाए

बैंग्लुरु में रहने वाली संध्या सिंह भी तीज को लेकर बहुत उत्साहित रहती हैं। शुरू में थोड़ा निर्जला रहना तकलीफ देता था लेकिन अब बड़े आराम से ये व्रत करती हैं। इस दिन वे और उनकी भाभी साथ मिलकर व्रत रखती हैं, पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु के लिए ईश्वर से कामना करती हैं।

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