जयपुर: मलमास को शास्त्रों में अशुभ माह मानते हैं। हिन्दू धर्म में मलमास को अत्यंत अशुभ माह माना जाता है। मलमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मलमास में गृह प्रवेश, शादी-विवाह सहित अन्य कोई भी शुभ कार्य पूर्ण रूप से करने की मनाही है। इस माह में छोटे-से छोटे शुभ कार्य प्रारंभ करना अशुभ माना जाता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर 30 दिन यानि एक महीने बाद राशि परिवर्तन करता है। सूर्य 12 महीनों 12 राशियों में विचरण करता है। इस प्रकार जब सूर्य राशियों से विचरण करते हुए धनु और मीन राशि में जाता है तो उस मास को मलमास कहा जाता है। इस बार मलमास चैत्र कृष्ण द्वादशी से प्रारंभ हो रहा है जो अगले एक महीने तक रहेगा। चैत्र कृष्ण द्वादशी यानि 14 मार्च 2018 (बुधवार) की रात 11 बजकर 42 मिनट पर सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
इस स्थिति में सूर्य 14 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक रहेंगे। मलमास की इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करना अशुभ होगा।
ज्योतिष के अनुसार सभी शुभ कार्यों में गुरु का शुद्ध होना बेहद आवश्यक है। विवाह के लिए वर के सूर्य का बल और वधु के बृहस्पति का बल मिलना आवश्यक होता है। जब दोनों के चंद्र बल को भी मिलाया जाए, तब ही शुभ मुहूर्त निकलता है।
जब सूर्य अत्याधिक तेज और ऊर्जा वाला होता है और जब यह बृहस्पति की राशि मीन की ओर गोचर करता है तो बृहस्पति का तेज कम पड़ जाता है। इतना ही नहीं इसका प्रभाव स्वयं सूर्य पर भी पड़ता है। इन दोनों ही ग्रहों में कोई बल नहीं बचता तो ऐसे में यह समय विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए सही नहीं माना जाता।