जयपुर:शास्त्रों में शनिचरी अमावस्या को बेहद खास महत्व प्रदान किया गया है। यह श्रावण मास की अमावस्या को पड़ती है। इस महीने शनिचरी अमावस्या 11 अगस्त 2018 को पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी इस अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है तो उसे अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में अमावस्या को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात् जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है।
कहीं-कहीं इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। शास्त्रों में अमावस्या की तिथि को पितृदेव को समर्पित माना गया है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि में रहते हैं।
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आत्माएं सक्रिय रहती हैं। दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं।जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है। इसीलिए इन दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
क्या न करें
इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।