बिना इनके दर्शन के काशी में नहीं होगा आपका वास, तभी तो हर किसी के लिए जरुरी हैं ये कोतवाल
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को काशी में रोड शो किया। 3 घंटे के इस रोड शो के दौरान पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ और काल भैरव मंदिर के दर्शन किए। पीएम मोदी 2014 के बाद पहली बार काल भैरव मंदिर पहुंचे थे। काशी विश्वनाथ में मोदी ने पूजा और जलाभिषेक किया। इसके बाद उनका काफिला काल भैरव मंदिर पहुंचा।
कालभैरव को साक्षात भगवान शिव का दूसरा रूप माना जाता है। इस दूसरे रूप को विग्रह रूप के नाम से भी जाना जाता है। शिव की क्रोधाग्नि का विग्रह रूप माने जाने वाले कालभैरव का जन्म मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। ऐसी मान्यता है कि कालभैरव की पूजा से घर में काली शक्तियों का वास नहीं होता है।इसके अलावा इनकी पूजा से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। कालभैरव का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। इस पुराण में लिखा गया है कि भैरव साक्षात शिव के ही दूसरे रूप हैं। इनका महत्व मोक्ष की नगरी काशी में और भी बढ़ जाती है।
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कथा के अनुसार कालभैरव के अवतार के बारे में कहा गया है कि देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु जी से बारी-बारी से पूछा कि जगत में सबसे श्रेष्ठ कौन है? तो उन दोनों ने स्वाभाविक रूप से खुद को ही श्रेष्ठ बताया, लेकिन जब यह प्रश्न देवताओं ने वेदशास्त्रों से पूछा तो उत्तर कुछ और ही आया। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ वही हो सकता है जिसके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ हो, जो अनादि, अनंत और अविनाशी हो। यह सारे गुण केवल और केवल भगवान रूद्र में ही है इसलिए सबसे श्रेष्ठ भगवान शिव ही हैं।
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वेद शास्त्रों से शिव के बारे में इतनी प्रशंसा सुनकर ब्रह्मा ने पांचवें मुख ने शिव की निंदा चालू कर दी। इससे वेद काफी दुखी हुए। इसी दौरान एक दिव्य ज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र, तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो और अधिक रुदन करने के कारण तुम्हारा नाम 'रूद्र' रखा है अतः तुम मेरी सेवा में आ जाओ। ब्रह्मा के इस आचर पर शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव के अवतार में कहा कि ये ब्रह्मा पर शासन करें।
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उन दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सर को ही काट दिया। शिव के कहने पर भैरव काशी गए। जहां उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली। इसके बाद भगवान रूद्र ने उन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त कर दिया। काशी में आज भी कालभैरव को काशी के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है और पौराणिक धारणा है कि कालभैरव के दर्शन किए बिना काशी विश्वनाथ का दर्शन अधूरा है। कोई भी मनोकामना पूरी नहीं होती। काशी में वास भी काल भैरव की अनुमति और दर्शन से ही होता है। तभी तो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काशी के कोतवाल का दर्शन करने की चाह रखते हैं।