जयपुर: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक गणेश जी की उपासाना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाते हैं। श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है। माना जाता है की प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवन दोबारा कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं। स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है।
इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन की मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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इस दिन व्रत ज़रूर रखें या केवल फलाहार लें। घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें। पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब ज़रूर अर्पित करें। इसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं। अगर प्रतिमा छोटी है तो गोद या सिर पर रख कर ले जाएं। प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणेश जी को समर्पित अक्षत घर में ज़रूर बिखेर दें। घर की तरफ़ चेहरा कर के ले जाएं। चमड़ी की बेल्ट घड़ी य पर्स पास ना रखें। नंगे पैर मूर्ति का वहन और विसर्जन करें। विसर्जन के बाद हाथ जोड़कर श्री गणेश जी से कल्याण और मंगल की प्राथना करें। अनंत चतुर्दशी का भी सहयोग इसी दिन बना हुआ है।
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विसर्जन के समय क्या विशेष करें: एक भोजपत्र या पीला कागज लें। अष्ट गंद की स्याही या लाल स्याही की कलम भी लें। सबसे पहले स्वस्तिक बनाएं। उसके बाद ॐ गण गणपतये नमः लिखें। उसके बाद अपनी जो भी समस्याएं हैं, वो लिखें। काट-पीट ना करें और कागज के पीछे कुछ ना लिखें। अंत में अपना नाम लिखें।
फिर गणेश मंत्र और फिर स्वस्तिक बनाएं। कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र (मौली) से बांध लें और गणेश जी को इसे समर्पित करें और फिर इससे गणेश जी की मूर्ति के साथ विसर्जित करें। आपकी सभी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। इस दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की सभी समस्याओ से मुक्ति मिलती है।