लखनऊः जब आप मंदिर जाते हैं तो भगवान की पूजा के बाद उनकी परिक्रमा करते हैं लेकिन यह परिक्रमा क्यों लगाई जाती है और इससे क्या लाभ होगा, इसके बारे में नहीं जानते हैं। तो आइए जानतें हैं क्यों लगाते हैं परिक्रमा?
भावनाओं को भगवान को करते हैं समर्पित
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवता की आराधना करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना ही परिक्रमा से पुण्य प्राप्त हो जाता है। परिक्रमा का अर्थ है अपनी मानसिक और शारीरिक भावना को अपने देवता या जिसकी भी आप परिक्रमा कर रहे हैं उसके प्रति अपने आपको समर्पित कर देना।
यह भी पढ़ें...मां का ये रूप है विलक्षण,108 परिक्रमा से भक्तों की पूरी होती है मुराद
परिक्रमा करने का है विधान
परिक्रमा करने का भी विधान है। देवी-देवता और मंदिर की तीन परिक्रमा करने का बहुमूल्य नियम है। पहले के स्कूल यानि गुरुकुल में गुरु की एक परिक्रमा का विधान था। विवाह आदि कार्यों के समय अग्नि की सात परिक्रमा करते हैं।
यह भी पढ़ें...108 अंक को माना जाता है पवित्र, जानिए क्या हैं इसके साइंटिफिक FACTS
किसी भी धार्मिक पूजा-पाठ में तीन परिक्रमा का विधान है और श्राद्ध आदि कर्म में जो ब्राह्मण तर्पण और गायत्री जप करने वाले हों, उनके भोजन करने के बाद उनकी चार परिक्रमा करने का विधान है।
रूके कार्य होते हैं पूरे
इसी प्रकार पीपल वृक्ष की 1, 3, 101, 108 परिक्रमा का विधान है। परिक्रमा लगा कर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, पितृदेवों को प्रसन्न किया जाता है। वृंदावन की परिक्रमा करने से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है और रूके हुए कार्य जल्दी पूरे होते हैं।
यह भी पढ़ें...जानिए क्यों रखा जाता है सकट का व्रत, 108 बार करें इस मंत्र का जाप