जयपुर:मथुरा के अरति गांव के पास राधा-कृष्ण कुंड है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने जब गायों के झुंड में गाय बनकर घुसे एक राक्षस का वध किया तो उन्हें गौहत्या का दोष लगा। इस दोष को दूर करने के लिए नारद मुनि से पूछा तो उन्होंने उपाय बताया कि एक कुंड का निर्माण करो जिसमें सभी तीर्थों को आने का आमंत्रण दो। श्रीकृष्ण भगवान ने नारद मुनि के कहने पर अपनी बांसुरी से एक छोटा सा कुंड खोदा और सभी तीर्थों के जल से उस कुंड में आने की प्रार्थना की।भगवान के बुलाने पर सभी तीर्थ वहां जल रूप में आ गए। माना जाता है कि तभी से सभी तीर्थों का अंश जल रूप में यहां स्थित है। इस कुंड के जल का रंग काला दिखाई देता है, जो श्रीकृष्ण के काले रंग का प्रतीक है।
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श्रीकृष्ण के बनाए कुंड को देखकर राधा ने उस कुंड के पास ही अपने कंगन से एक और छोटा सा कुंड खोदा। इसीलिए इस कुंड को राधा कुंड के नाम से भी जानते हैं।जब भगवान ने उस कुंड को देखा, तो हर रोज उसी कुंड में स्नान करने का और उनके बनाए कृष्ण कुंड से भी ज्यादा प्रसिद्ध होने का वरदान दिया। इस कुंड के जल का रंग सफेद है जबकि कृष्ण कुंड के जल का रंग काला। दोनों कुंड पास में ही स्थित हैं, लेकिन उनके जलों का रंग भिन्न होना आश्चर्य में डाल देता है।