गोस्वामी तुलसीदास ने की थी यहां रामलीला की शुरुआत, जहां आ रहे हैं PM मोदी

Update: 2016-10-10 08:48 GMT

लखनऊ: ऐशबाग की रामलीला जितनी प्रसिद्ध है उतना ही वहां का रावण भी। यहां की रामलीला इतिहास वैसे तो 500 साल से भी ज्यादा पुराना है। तकरीबन रामलीला की शुरुआत मुगलकाल में हुई और नवाबी दौर फली-फूली। कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने इसकी शुरुआत की थी।

यूं तो ऐशबाग रामलीला से तमाम ऐतिहासिक बातें जुड़ी हुई हैं लेकिन इस बार देश के प्रधानमंत्री मोदी दशहरे पर यहां आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी के लिए यहां तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं।

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क्यों हैं खास ऐशबाग

वैसे तो ऐशबाग रामलीला समिति की स्थापना 1860 में हुई, लेकिन इसका इतिहास तकरीबन 500 साल पुराना है। मुगलकाल में इसकी शुरुआत मानी जाती है। विद्वानों के अनुसार पूरे दुनियाभर में जो रामलीला होती है, उसका सांचा तुलसीदास ने ही तैयार किया थी। अवध के तीसरे बादशाह (1833-42) मौलाना मोहम्मद अली शाह ने शाही खजाने से रामलीला के लिए मदद भेजी थी। उनके हाथ का लिखा हुआ इस शाही मदद का पर्चा लखनऊ के बिरहाना मोहल्ले में एक ब्राह्मण के पास बाद में मिला भी था।

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सीता को बचाते हुए जटायु ने सच में त्यागे थे यहां प्राण

अविरल भगति मांगि वर गीध गये हरिधाम।

तेहिके क्रिया जथोचित निज कर कीन्हीं राम॥

तुलसीदासकृत रामचरितमानस के अरण्यकांड में यह दोहा उस प्रसंग पर आधारित हैं, जहां सीता को रावण से बचाते हुए जटायु वीरगति को प्राप्त होते हैं और भगवान राम अपने हाथों से उनका अंतिम संस्कार करते हैं।

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