जयपुर:आषाढ़ पूर्णिमा यानि 27 जुलाई 2018 को लगने वाले चंद्रग्रहण पर इस बार केमद्रुम योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार चन्द्र ग्रहण पर दुर्लभ योग सालों में एक बार बनता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह केमद्रुम योग कुंडली में बने केमद्रुम दोष की शांति के लिए बेहद खास है। चन्द्र ग्रहण काल में केमद्रुम दोष का निवारण करवाना शुभफलदायी होता है। केमद्रुम दोष से पीड़ित व्यक्ति इस शुभ योग में अपने इस दोष का निवारण करा लेता है, उसके जीवन में कभी भी नकारात्मक दोष का प्रभाव नहीं पड़ता है।
यह पढ़ें...एस्ट्रो टिप्स: सच्चे मन से करें गुरुवार का व्रत, पूरे होंगे सब काम
इतना ही नहीं जातक के जीवन से नकारात्मक दोष खत्म हो जाता है और सकारात्मक परिणाम मिलता है। इस दोष की शांति के बाद जातक के जीवन में हमेशा मान-सम्मान, यश-कीर्ति और सभी प्रकार के सुख-शांति तथा सम्पन्नता की प्राप्ति होती है।
क्या होता है केमद्रुम योग जब जातक की कुंडली में चंद्रमा के आगे-पीछे कोई ग्रहण नहीं होता है तब केमद्रुम योग बनता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में उदासीनता, अशांति, पारिवारिक क्लेश और आर्थिक दरिद्रता तथा सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में हमेशा कमी बनी रहती है।
साथ ही जातक जीवन भर स्ट्रीम लेबल पर नकारात्मकता को झेलता रहता है। इतना ही नहीं केमद्रुम दोष से प्रभावित व्यक्ति भीड़ में भी खुद को अकेला पाता है।इसके अलावा जातक के जीवन में कभी भी सच्चा प्यार नहीं मिलता है। सच्चे प्यार की तलाश में वह ताउम्र भटकता है। इसलिए चंद्रग्रहण पर बनने वाले इस अत्यंत शुभ योग में केमद्रुम दोष का निवारण करवाना अत्यधिक फलदायी होता है।