भगवान शिव को ये मंत्र है अतिप्रिय, जीवन की हर बाधा का छिपा है इसमें निदान

Update:2017-11-22 11:53 IST

जयपुर: हिंदू धर्मशास्त्रों व पुराणों में कुछ मंत्र हैं जिनके जप से कई समस्याओं का समाधान होता है। ये मंत्र कार्यसिद्धि के लिए किए जाते हैं तो कुछ मंत्र जीवन में आनेवाली कई गंभीर समस्याओं को दूर करने के लिए। लेकिन एक शिव भगवान का ये खास मंत्र जिसमें अकाल मृत्यु से लेकर जीवन की हर समस्या का समाधान है।

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शिव को प्रिय है महामृत्युंजय मंत्र

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो कई तरह के मंत्रों का जप किया जाता है। लेकिन ये मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है।

महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌॥

महामृत्युंजय मंत्र में इतनी शक्ति है जिससे इंसान मौत पर भी जीत हासिल कर सकता है। इस मंत्र से न सिर्फ भगवान शिव प्रसन्न होते हैं ,बल्कि ये मंत्र असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचाने के लिए भी जाना जाता है।

बीमारी, दुर्घटना, पाप ग्रहों के प्रभाव को दूर करने, मौत को टालने, आयु बढ़ाने के अलावा समस्त समस्याओं के समाधान के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बेहद फलदायी होता है।

सावधानियां

इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।अगर आप खुद इस मंत्र का जप नहीं कर पा रहे हैं तो इस मंत्र का जप किसी पंडित से भी करा सकते हैं।

*महाम़ृत्युंजय मंत्र का उच्चारण सही तरीके से और शुद्धता के साथ करें। इस मंत्र के जप में एक शब्द की भी गलती भारी पड़ सकती है।

*इस मंत्र के जप के लिए एक निश्चित संख्या निर्धारित करें। आप धीरे-धीरे जप की संख्या को बढ़ा सकते हैं लेकिन इसे कम न करें।

*इस मंत्र का जप धीमे स्वर में करना चाहिए। जप करते समय इसका उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए।

*इस बात का विशेष ध्यान रखें कि महामृत्युंजय जप के दौरान धूप-दीप जलते रहना चाहिए।

*इस मंत्र का जप केवल रुद्राक्ष की माला से ही करें। माला को गौमुखी में रखकर उससे जप करें और जप पूरा हो जाने के बाद माला गौमुखी से बाहर निकालें।

*इस मंत्र का जप उसी जगह पर करें, जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो।

*इस मंत्र का जप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें और जितने भी दिन का यह जप हो उतने दिन तक मांसाहार का सेवन न करें।

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संख्या

*अगर किसी भय या डर से छुटाकारा पाना है तो इसके लिए महामृत्युंजय मंत्र का 1100 बार जप करना चाहिए।

लंबे समय से पीड़ित रोगी को रोग से मुक्ति दिलाने के लिए 11000 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

*पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए और अन्य सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सवा लाख की संख्या में इस मंत्र का जप करना अनिवार्य है।

*इन मंत्रों के जप से कही ज्यादा जरूरी है इस मंत्र की शक्ति पर विश्वास करना। अगर इंसान पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र का जप करता है तो उसे निश्चित रुप से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

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