स्नान दान का पर्व मकर संक्रांति पर मोक्ष प्राप्ति के लिए ऐसे करें सूर्य की उपासना
लखनऊ: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति या खिचड़ी को बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हर साल मकर संक्रांति 14 या 15 को होती है। इस साल भी यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में तिल के लड्डू बनाएं जाते है तो कई जगह खिचड़ी खाई जाती है। लोग इस दिन तिल और लाई का दान भी करते हैं। कहा जाता है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं।
दान, स्नान और उपासना का पर्व है संक्रांति, इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर अपनी उत्तरायण गति आरंभ करते हैं। संक्रांति को उत्तरायणी के नाम से भी पुकारा जाता है। खासकर प्रयाग में संगम तट पर इस दिन विशेषतौर पर स्नान किया जाता है। इस दिन सूर्य की उपासना शुभ फल देती है।
कैसे करें व्रत
*संक्रांति व्रत सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन करना चाहिए। *संक्रांति के दिन तिल को पानी में मिलाकार स्नान करें।
*इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
*ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। इसके अलावा भीष्म पितामह ने भी अपना देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के पावन दिन का ही चुना था।
इस दिन ऐसे करें सूर्य उपासना
मकर संक्रांति के दिन विशेष विधि से सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
ध्यान रखें कि अर्घ्य तांबे के लोटे में दें। पात्र को दोनों हाथों से पकड़ कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य के समय सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, जो इस प्रकार है- ऊं आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।