3 दिसंबर है खास दिन, सुख-समृद्दि के लिए घर की कन्या के करें वस्त्र दान

Update:2017-12-02 06:56 IST

जयपुर: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के पावन पर्व पर गंगा समेत अनेक पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। हरिद्वार समेत अनेक स्थानों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं और पापों से मुक्त होते हैं। पूर्णिमा के स्नान पर पुण्य की कामना से स्नान का बहुत महत्व होता है इस अवसर पर किए गए दान का अमोघ फल प्राप्त होता है, यह एक बहुत पवित्र अवसर माना जाता है जो सभी संकटों को दूर करके मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 3 दिसंबर 2017 के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पूजन होना है। इस दिन भगवान विष्णु नारायण की पूजा कि जाती है।

नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करके व्रत रखते हुए ऊँ नमो नारायण मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की पूजा अवश्य की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था। इस दिन कन्या और परिवार की अन्य स्त्रियों को वस्त्र प्रदान करने चाहिए।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था।मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए, स्नान के समय नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का उच्चारण करना फलदायी होता है।

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करते हुए भगवान श्री सत्यनारायण जी की पूजा-अर्चना और उनकी कथा की जाती है जो परम पुण्यकारी और फलदायी है। पूजा धुप, दीप अगरबत्ती के साथ चूरमा का भोग लगाया जाता है जो भगवान श्री हरी विष्णु जी को अतिप्रिय है। पूजा समापन के समय हवन करने की विधि है हवन समाप्ति के पश्चात भगवान श्री विष्णु जी से मंगल व् सुख की कामना करना चाहिए। पूजा कार्य समाप्ति के पश्चात लोगो में प्रसाद वितरण करना चाहिए। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणो को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान प्रदान करना चाहिए। श्री हरि विष्णु जी की कृपा से भक्त के सारे संकट दूर हो जाते है एवं हर मनोकामनाए पूर्ण होती है। इस तरह मार्गशीर्ष पूर्णिमा की महिमा व् पूजा विधि सम्पन्न होती है।

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