लखनऊ: हमारी जैसी सोच रहती है। उसी के अनुरूप हाथों की रेखाओं बदलाव होते रहते हैं। सामान्यत: हमारे हाथों की कई छोटी-छोटी रेखाएं बदलती रहती हैं, परंतु कुछ खास रेखाओं में बड़े परिवर्तन नहीं होते हैं। इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल है।
ज्योतिषाचार्य सागर जी महाराज के अनुसार विवाह रेखा से किसी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।
कहां होती है विवाह रेखा-
*विवाह रेखा लिटिल फिंगर (सबसे छोटी अंगुली) के नीचे वाले भाग में होती है। कुछ लोगों के हाथ में एक विवाह रेखा होती है तो कुछ लोगों के हाथों में एक से अधिक। सबसे छोटी अंगुली के नीचे वाले क्षेत्र को बुध पर्वत कहते हैं। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। ये विवाह रेखाएं कहलाती है।
*ऐसा माना जाता है कि जितनी विवाह रेखाओं की संख्या होती है उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम प्रसंग हो सकते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है।
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*साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
*यदि विवाह रेखा के शुरू में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने का भय रहता है।
*हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार विवाह रेखा से किसी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।
*यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाह किसी धोखे से होगा, ऐसी संभावनाएं रहती हैं।
*यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रेखा को काट दे तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है।
*यदि विवाह रेखा रिंग फिंगर (अनामिका) के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।
*विवाह रेखा पर विचार करते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाला भाग शुक्र पर्व कहलाता है। इसका क्षेत्र जीवन रेखा तक होता है।) पर भी विचार करना चाहिए।
*दोनों हाथों की सभी रेखाओं और हाथों की बनावट का भी व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य पर प्रभाव पड़ता है। अत: इस हाथों का सही-सही अध्ययन किया जाना चाहिए।