जयपुर: मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था। इसे गीता जयंती एवं मोक्षदा एकादशी नाम से जाना जाता है। यह व्रत समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इस दिन से गीता पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करना चाहिए और प्रतिदिन गीता का पाठ करना चाहिए। इस बार मोक्षदा एकादशी 30 नवंबर को है।
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यह एकादशी मोह का क्षय करने वाली है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जो इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को श्रीमद्भागवत गीता उपहार स्वरूप प्रदान करता है, वह भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करता है। मोक्षदा एकादशी व्रत से बढ़कर मोक्ष प्रदान करने वाला और कोई व्रत नहीं है। इस व्रत के प्रभाव से घर पर मंडरा रहे संकट दूर होते हैं।
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यह व्रत पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खोलने में सहायता प्रदान करता है। इस दिन पान न खाएं, न ही किसी की निंदा करें। क्रोध न करें एवं झूठ न बोलें। तेल में बना हुआ भोजन न खाएं। मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी की रात्रि भगवान श्रीहरि का भजन-कीर्तन करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें और किसी जरूरतमंद को दान दें।