यहां मुस्लिम भाई करते हैं बजरंगबली की पालकी का स्वागत, हैं एकता की मिसाल

Update: 2017-09-09 08:25 GMT

हरदोई: हरदोई में भादो महीने के आखिरी मंगल यानि बुढ़वा मंगल को एक ऐसा मेला लगता है, जहां हनुमान जी को झंडे और लड्डू चढाने से मनोकामना पूर्ण होती है। इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शरीक होते हैं। हिंदू हो या मुस्लिम हर कोई इस मेले में शिरकत करने के साथ ही एक दूसरे की मदद भी करता है। इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत ब्रिटिश के समय में हुई थी।

अंग्रेजी हुकूमत में मंदिर पर लगने वाली भीड़ जब ज्यादा होने लगी तो अंग्रेजों ने इसका विरोध किया। उसी समय हिंदुओं की आस्था पर प्रहार होते देख मुस्लिम समाज भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो गया और मेले में लाठी और बल्लम लेकर आने वाले हिंदू समुदाय के लोगों के लिए मुस्लिम समुदाय ने झंडा बनाने का काम किया था। उसी समय से आज भी वो परंपरा जीवंत है। हर श्रद्धालु मेले में झंडा लेकर आता है और मंदिर में झंडा चढ़ाकर हनुमान जी से मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करता है। इसीलिए इस मेले को महावीर झंडा मेला भी कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के क़स्बा संडीला में लगने वाला ये ऐतिहासिक महावीर झंडा मेला है, जो भादो मास के आखिरी मंगल को हर साल मनाया जाता है। जिसमें प्रदेश के कई जिलों से आए हजारों लोग आते हैं। सैकड़ों बरस पुराने इस मेले में हिंदू हो या मुस्लिम सभी एक दूसरे की मदद करते हैं। हजारों की भीड़ को सड़कों पर समेटे इस मेले में हर वर्ग का व्यक्ति है। मेले का इतिहास बड़ा ही पुराना है। 150 बरस पहले अंग्रेजों ने इस मंदिर पर लगने वाली भीड़ को रोका तो आस्था के नाम पर जिले भर के तमाम लोग इकठ्ठा हुए और सड़कों पर हनुमान जी का झंडा लेकर घरों से निकल पड़े। हिंदुओं की आस्था पर प्रहार होते देख मुस्लिम समुदाय भी उनके साथ उतर आया।

सड़कों पर भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि अंग्रेजों को संभालना मुश्किल हो गया। हिंदुओं ने अपनी आस्था से इसे जोड़ा तो स्थानीय मुस्लिमों ने उनकी भरपूर मदद की। मेले में आने वाले लोगों को उनके ठहरने का इंतजाम और चंदे की व्यवस्था मुस्लिम समाज के लोगों ने कर दी। जिसके बाद से आज तक लोग इस परंपरा का निर्वहन करते चले आ रहे हैं। हनुमान जी के इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष मेले के दिन हजारों श्रद्धालु झंडे लेकर आते हैं और झंडा और लड्डू चढ़ाते हैं। जब हनुमान जी की पालकी निकलती है तो हिंदू समाज के लोगों पर पुष्प अर्पित कर और उन्हें माला पहनाकर मुस्लिम समुदाय के लोग उनका स्वागत करते है।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है यहां आने वाले लोगों का कहना

क्या है मंदिर के पुजारी का कहना

इस ऐतिहासिक मेले में प्रदेश के तमाम जिलों के लोग झंडा लेकर आते हैं और इकट्ठा होकर पूरे शहर में हनुमान यात्रा और पालकी निकालते हैं और फिर इस मंदिर में आकर झंडे चढ़ाते हैं। हिंदुओं की आस्था से जुड़े इस धार्मिक मेले को सफल बनाने के लिए स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग मेले में आने वाले लोगों का सहयोग करते हैं। मेले में झंडा बनाने का काम हो या लाइट की व्यवस्था और आगंतुकों के लिए पानी व उनके ठहरने की इंतजाम भी मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं।

क्या है मुस्लिम भाई का कहना

हसन मकी का कहना है कि देश में राजनैतिक दल अपने स्वार्थ के लिए एक दुसरे को लड़ाने से गुरेज नहीं करते, ऐसे में हरदोई की सरजमीं पर लगने वाला ये धार्मिक मेला कौमी एकता की अनूठी मिसाल है। यहां कवि इकबाल की कही वो लाइनें सच साबित होती हैं कि मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी है हम वतन हैं हिंदोस्ता हमारा।

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