जयपुर: विजयदशमी के दिन रावण दहन की परंपरा है। रावण को बुराई का प्रतीक मानते हैं, लेकिन श्रीराम के इसी देश में रावण की कई जगहों पर पूजा की जाती है। दशहरा पर रावण दहन का कार्यक्रम देश के सभी भागों में मनाया जाता है।
जोधपुर जिले के मन्दोदरी नाम के क्षेत्र को रावण और मन्दोदरी का विवाह स्थल माना जाता है। जोधपुर में रावण और मन्दोदरी के विवाह स्थल पर आज भी रावण की चवरी नामक एक छतरी मौजूद है।
कर्नाटक के कोलार जिले में लोग फसल महोत्सव के दौरान रावण की पूजा करते हैं। इस लंकेश्वर महोत्सव के मौके पर भव्य जुलूस भी निकला जाता है। यहां लोग रावण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि वह भगवान शिव का परम भक्त था। इस राज्य के मंडया जिले के मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है।
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मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक गांव है, जहां राक्षसराज रावण का मंदिर बना हुआ है। यहां रावण की पूजा होती है। मध्यप्रदेश में यह रावण का पहला मंदिर था। यहां के मंदसौर जिले में भी रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र में 'रावण रूण्डी' नाम के स्थान पर रावण की विशाल मूर्ति है। मान्यता के अनुसार रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था। रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की रहने वाली थीं। ऐसा माना जाता है कि मंदोदरी के नाम पर ही दशपुर का नाम मंदसौर पड़ा।
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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है। यहां के लोग रावण का पुतला जलाना महापाप मानते हैं। यहां रावण की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यहां रावण ने कुछ साल बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।
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उत्तरप्रदेश के कानपुर में रावण का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। कानपुर के शिवाला इलाके के दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है। यहां भक्त तेल के दिए जलाकर रावण से अपनी मन्नतें मांगते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि रावण के इस मंदिर को साल में केवल एक बार दशहरे के दिन खोला जाता है। दशहरे पर रावण के दर्शन के लिए इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।