लखनऊ के इस मंदिर में मां के चरणों का है महत्व, दर्शन से होती हर इच्छा पूरी
लखनऊ: कहते है कि अगर सच्चे मन से भक्ति करो तो मां दुर्गा जरूर दर्शन देती हैं। ऐसी ही कुछ मान्यता लखनऊ के चौक में स्थित संधोहरण या संदोहन देवी मंदिर की है। यहां माता रानी के चरणों का अलग ही महत्व है। नवरात्रि में देवी के सभी रूपों का श्रृंगार किया जाता है।
चरणों के दर्शन का अलग ही महत्व
वैसे तो माता रानी के दर्शन के लिए आप किसी भी दिन आ सकते है, लेकिन नवरात्र और एकादशी में माता के चरणों के दर्शन करने से हर दुख दूर हो जाते है। साल में बस दो बार नवरात्र के बाद की एकादशी में ही देवी के चरणों के दर्शन करने को मिलता है। बाकी समय मां के चरण ढंके रहते है।
प्रत्येक रूप का श्रृंगार
नवरात्र में देवी का अलग-अलग रूप में श्रृंगार किया जाता है। पहले दिन मां का शेर पर सवार और श्रृंगार। दूसरे दिन कमल आसान पर विराजमान। तीसरे दिन मयूर पर कुमारी के रूप में दर्शन। चौथे दिन गरुड़ पर वैष्णवी स्वरूप में। पांचवें दिन सहस्त्र नैना वाली इंद्राणी के रूप और ऐरावत पर सवार।
छठे दिन अर्धनारीश्वर के रूप में बैल पर सवार। सातवें दिन महिषासुर का वध करते हुए शेर पर सवार। अष्टमी और नवमी के दिन माता सिंहासन पर विराजमान रहती हैं। दसवें दिन मां मगरमच्छ पर विराजमान होती है। ग्याहरवें दिन मां के चरणों के दर्शन होते हैं। इस दिन मां को लहंगा चोली और आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है।
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सपने में दिखी थी देवी
मंदिर के पंडित ने बताया कि लगभग 700 साल पहले यहां एक संत थे जिन्होंने एक रात सपना देखा, जिसमे देवी मां उनसे बता रही हैं कि तालाब में उनकी पिंडी है और उसे जाकर निकाल लो। संत भक्तों के साथ तालाब पर गए और तालाब में पिंडी की तलाशी की। बहुत गहराई में जाकर उनको वो पिंडी मिली।
लेटी हुई पिंडी स्थापित
पिंडी मिलने के बाद एकादशी को उसे स्थापित किया गया। कहा जाता है कि पिंडी को जितनी बार बैठाते वो फिर से लेट जाती। इसीलिए मां की लेटी हुई पिंडी की ही स्थापना की गई।
एकादशी को पूरी होती है हर मुराद
वैसे तो संदोहन देवी हर मुराद पूरी करती हैं, लेकिन एकादशी के दिन यहां अलग ही महिमा रहती है। कहा जाता है कि एकादशी को इसकी स्थापना होने के कारण देवी इस दिन भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं।