नवरात्र में हर दिन मां दुर्गा को चढ़ाएं ये प्रसाद, होगा हर समस्या का समाधान
लखनऊ: नवरात्रि में नौ रात और नौ दिनों की धूमधाम होती है।ये दिन मां दुर्गा की भक्ति और पूजा को समर्पित होती है। जो दुर्गा माता के नौ रूपों विभाजित होती है। इन नौ रातों में, शक्ति के नौ रूपों की पूजा होती है। संस्कृत में नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ होता है नौ रातें।
नवरात्रि का हर एक दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है और इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा इनकी पूजा होती है।
गुजरात में नवरात्रि में नौ रातों का जश्न, मस्ती और नाच गाना होता है। वहां श्रद्धालु रात भर नाचते-गाते हैं और पूरी रात डांडिया या गरबा खेलते हैं।
हर जगह अलग-अलग तरीके से माँ दुर्गा के रुपों की उपासना और उपवास किए जाते हैं। दुर्गा मां की पूजा में अलग-अलग चीजों का प्रसाद चढाया जाता है। इन नौ दिनों का एक श्रद्धालु के लिए विशेष महत्व होता है जिसका वर्णन नीचे किया गया है।
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पहला दिन: प्रथमा या नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के पहले अवतार को समर्पित होता है। इस दिन शैलपुत्री माता की पूजा होती हैं। इस अवतार में वह एक बच्ची और पहाड़ की बेटी की तरह पूजी जाती हैं। इस दिन श्रद्धालु पीला वस्त्र पहनते हैं और माता को घी चढ़ाते हैं।
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दूसरा दिन: दूसरे दिन मां दुर्गा की पूजा ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में होती है। द्वितीया या दूसरे दिन श्रद्धालु हरा वस्त्र पहनते हैं और माँ को चीनी का भोग लगाते हैं।
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तीसरा दिन: तृतीया या तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से आपके सारे कष्ट मिट जाते हैं और आपकी मनोकामना पूरी होती है। इस दिन श्रद्धालु भूरे रंग का वस्त्र पहनते हैं और देवी को दूध या खीर का भोग चढ़ता है।
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चौथा दिन: चतुर्थी या चौथा दिन वी कुष्मांडा को समर्पित होता है। ऐसा मानते हैं कि देवी के इस रूप की पूजा करने से और व्रत रखने से श्रद्धालु के सभी कष्ट और रोग दूर होते हैं। इस दिन श्रद्धालु नारंगी वस्त्र पहनते हैं और मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाते हैं।
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पांचवा दिन: पंचमी या पांचवा दिन स्कन्दमाता देवी को समर्पित होता है। ऐसा मानते हैं कि देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है। पंचमी के दिन उजला वस्त्र पहनते हैं और देवी को केले का भोग चढ़ता है।
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छठा दिन: षष्ठी या छठे दिन देवी कात्यायिनी की पूजा होती है। इस दिन श्रद्धालु लाल कपड़े पहनते हैं और देवी को खुश करने के लिए शहद का भोग चढ़ाते हैं।
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सातवां दिन: सप्तमी या सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है। इस अवतार में देवी अपने श्रद्धालुओं को किसी भी बुराई से बचाती हैं और खुशियां देती हैं। इस दिन श्रद्धालु नीला वस्त्र पहनते हैं और देवी को गुड़ का भोग चढ़ाते हैं। कुछ लोग इस दिन ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देते हैं।
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आठवां दिन: आठवां दिन या अष्टमी देवी महागौरी को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं के सारे पाप धुल जाते हैं। देवी को हरी साड़ी पहने दिखाते हैं। इस दिन श्रद्धालु गुलाबी रंग का कपड़ा पहनते हैं और देवी को नारियल चढ़ाते हैं।
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नवां दिन: नवां दिन या नवमी देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन श्रद्धालु बैंगनी रंग का कपड़ा पहनते हैं और देवी को तिल का भोग चढ़ाते हैं।