ऐसे करेंगे आरती तो सफल होगी आपकी नियमित पूजा, आज से ही अपनाएं

Update:2017-11-19 10:56 IST

जयपुर: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पूजा तभी सफल माना जाता है जब आरती विधि पूर्वक संपन्न हो। शास्त्रों के अनुसार पूजा की आत्मा आरती होती है। इसलिए आरती यदि निष्ठा पूर्वक किया जाए तो पूजा-पाठ सफल मानी जाती है। पूजा-पाठ करने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं जो यह नहीं जानते हैं कि आरती करने से पहले भी कुछ काम करने है जिसके साथ ही आरती का महत्व है। पूजा-पाठ व आरती से जुड़ी बातें...

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आरती से पहले आचमन: आरती करने से पहले हमेशा आचमन करना चाहिए। साथ ही पुष्प और अक्षत से धूप और दीप का निवेदन करना चाहिए। अगर कोई चाहे तो इस समय धूप, दीप, चंदन, पुष्प, अक्षत से संक्षिप्त पूजा भी कर सकते हैं।

शंख ध्वनि:आरती प्रारंभ करने से पूर्व शंख बजाना चाहिए, ध्वनि के बाद प्रणाम भी करना चाहिए। यदी आपके पास शंख नहीं है या बजाने नहीं आता है तो केवल प्रणाम अवश्य करना चाहिए।

धूप आरती: आरती धूप से शुरू करना चाहिए। पीतल की धुनाची या धूपदान में धूप, गुग्गुल जलाकर आरती शुरू करना चाहिए। धूप के सुगन्धित धुंए से पूरा बातावरण आध्यात्मिक हो जाता है।

पंचप्रदीप आरती : पांच दीपों की आरती को पंचप्रदीप आरती कहा जाता है। चाहें तो एक दीप से भी आरती कर सकते हैं। लेकिन पांच या सात दीपों से आरती करना अच्छा माना गया है। दीप हमेशा घी या सरसों के तेल में ही जलाएं।

 

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शंख जल आरती: शंख में गंगा जल अथवा शुद्ध जल भरकर आरती करना उत्तम माना जाता है। दीप आरती के बाद शंख जल से आरती करना जरुरी होता है। ऐसा करने से वातावरण शीतल रहता है।

पुष्प आरती : पूजा-पाठ में पुष्प आरती का भी विशेष महत्व है। पुष्प आरती में कमल के पुष्प की आरती उत्तम माना गया है।

साष्टांग प्रणाम: आरती करने के बाद साष्टांग प्रणाम करने से ही आरती सम्पूर्ण मानी जाती है। साष्टांग प्रणाम के बिना आरती अधूरी मानी जाती है। अगर किसी को साष्टांग प्रणाम करने में कोई शारीरिक असुविधा हो तो वह हाथ जोड़ कर भी प्रणाम कर सकते हैं।

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