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लखनऊ: भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां सभी धर्म और उसके पर्व-त्योहार को समभाव से देखा जाता है।जैसे आजकल रमजान की रौनक बाजारों में देखने को खूब मिल रही है। मुसलमान रमजान के महीने को अल्लाह के ईनाम के रुप में देखते है। जैसे सभी धर्म अपने नियमों को मानते हैं। वैसे ही इस्लाम में की भी अपनी विशेषता है। इस धर्म में नमाज खासकर रमजान में नमाज पढ़ना जरूरी माना जाता है।
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नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलाह या सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और इसमें प्रत्येक मुसलमान को (स्त्री और पुरुष) नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है।
रमजान के मुबारक महीने रोजे रखने के साथ, 5 बार की नमाज अदा करना भी जरूरी है। हर नमाज को ऐसे अदा करों जैसे कि ये तुम्हारी आखिरी नमाज हो। इससे ये पता चलता है कि इस्लाम में नमाज का क्या महत्व है। इस्लाम में 5 वक्त की नमाज फर्ज है, मतलब 5 बार नमाज पढ़ना जरूरी है।
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इस्लाम बुराई करना गुनाह है
नमाज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। नमाज जिंदगी में परहेजगारी लाती है, यानि नमाज पढ़ने वाला कभी भी गलत काम नहीं कर सकता। जो मुस्लमान 5 बार कि नमाज पढ़ते हैं, जिंदगी में वो कभी किसी कि बुराई, किसी के गलत काम में उसका साथ नहीं देते और ऐसा ना ही ऐसा बोलते हैं जिससे किसी का दिल दुखे।
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5 बार की नमाज पढ़ने का महत्व
फजर (सुबह की नमाज) ये पहली नमाज है जो सुबह सूर्य के उदय होने के पहले पढ़ी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसे करने से बरकत होती है। साथ ही तंदरुस्ती बनी रहती है।
जोहर (दोपहर की नमाज) ये दूसरी नमाज है जो मध्याह्न के बाद पढ़ी जाती है।ऐसा माना जाता है कि इसे करने से रोजी में बरकत ज्यादा होती है और बरकत बनी रहती है।
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असिर (दोपहर बाद) ये तीसरी नमाज है जो सूर्य के अस्त होने के कुछ पहले होती है। इसे पढ़ने से शरीर में बीमारी नहीं रहती है।
मगरिब (गोधलि बेला) चौथी नमाज जो सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है। ऐसा कहा जाता है कि इसे पढ़ने से औलाद की तंदरुस्ती बनी रहती है।
इशां (रात्रि की नमाज) अंतिम पांचवीं नमाज जो सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती है। इसके बाद सुकुन की नींद मिलती है।
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नमाज अल्लाह से मांगने का जरिया है। इस माह रोजा रखकर रोजेदार अल्लाह की इबादत करते हैं। अल्लाह का शुक्रिया करते हैं, जिसने हमें जिंदगी बख्शी है। कहा जाता है कि नमाज पढ़ने वाला व्यक्ति कभी किसी के साथ कुछ गलत नहीं करता है। इसे हमेशा शिद्दत से अदा करना चाहिए।
5 वक्त की नमाज और तरावीह अदा करने से मानसिक सुकून हासिल होता है। तनाव दूर होता है और व्यक्ति ऊर्जास्वित महसूस करता है। आत्मविश्वास और याददाश्त में बढ़ोतरी होती है। नमाज में कुरान पाक के दोहराने से याददाश्त मजबूत होती है। एक साथ नमाज अदा करने से सदभाव भी बढ़ता है।
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