जयपुर: रुद्राक्ष को भगवान शिव का आंख कहा गया है। ऐसा माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पति महादेव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना धारण किया जाता रहा है। मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष ही इस धरती पर ऐसी वास्तु है जो मंत्र जाप के साथ-साथ ग्रहों के नियंत्रण के लिए भी उपयुक्त है। ज्योतिषियों ने भी इसकी महिमा का बखान किया है।
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*रुद्राक्ष को कलाई, गला या हृदय पर धारण करना चाहिए।
*गले में धारण करना सर्वोत्तम माना गया है।
*कलाई में 12, गले में 36 और हृदय स्थल पर 108 डेन धारण करना चाहिए।
*इसके अलावे गले में धारण किए गए माला पर मंत्र जाप भी कर सकते हैं।
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*रुद्राक्ष को धारण करने से शरीर के कई कष्ट दूर हो जाते हैं।
*वैज्ञानिक भी इस बात को साबित कर चुके हैं दिल के रोगियों के लिए इसका धारण रामबाण साबित होता है।
*रुद्राक्ष धारण करने से कई पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही वे सौभाग्यशाली भी बनते हैं।
*रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधना करने के बाद मिलने वाले फल के बराबर लाभ होता है।