आप भी करें इन प्रभावकारी मंत्रों का जाप, विद्या की देवी भरेंगी ज्ञान का भंडार

Update:2018-01-22 09:45 IST

जयपुर: सरस्वती मंत्र, माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए अचूक उपाय है। ऐसा माना जाता है कि मां शारदे की पूजा के लिए उनका खास मंत्र लाभदायक होता है। साथ ही, सरस्वती पूजा के दिन इन प्रभावशाली मंत्र से विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करना अत्यधिक फलदायक होता है। आप भी करें सरस्वती पूजा के दिन माता के इन प्रभावशाली मंत्रों का जाप...

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परीक्षा में डर ना लगें इसलिए इन मंत्रों का जाप करना लाभदायक माना जाता है।याद करने की क्षमता बढ़ाने के लिए इस मंत्र को फलदायक माना जाता है। उच्च शिक्षा और बुद्धिमत्ता के लिए सरस्वती देवी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।

ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।

शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।

श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।

ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

कला और साहित्य के क्षेत्र में सफलता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां

हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां

अर्थ: शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता/करती हूं।

विद्या और बुद्धि से संबंधित सभी बाधाओं के निवारण हेतु देवी सरस्वती के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी

मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।

सरस्वती नमस्तुभ्यं वर्दे कामरूपिणी।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

अर्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

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