शनिश्चरी अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप व उपाय, नहीं सताएगी आपको साढ़ेसाती

Update:2018-03-15 05:59 IST

जयपुर: शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन जब शनिवार पड़ता है तो वह शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस माह शनिश्चरी अमावस्या चैत्र अमावस्या 17 मार्च 2018 (शनिवार) को पड़ रही है। शास्त्रों में शनिश्चरी अमावस्या का अत्यधिक महत्व बताया गया है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन कुछ शास्त्रीय उपायों को करने से शनि की साढ़ेसाती की समस्या से निजात मिलता है।

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उपाय

शनिश्चरी अमावस्या के दिन आप शनि के बीज मंत्र का जप करके उड़द दाल की खिचड़ी या तिल से बने पकवान गरीबों को दान करें। अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें। इससे शनि की ढैय्या खत्म हो जाएगी।

शनिश्चरी अमावस्या के दिन आप पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।प्रतिदिन काले श्वान को मीठी रोटी खिलाएं। घर की दहलीज में चांदी का पत्तर दबाएं। शनिदेव के दुष्प्रभाव का शमन करने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन काली गाय यानी श्यामा गौ की सेवा करें। पहली रोटी गाय को खिलाएं, माथे पर सिंदूर का तिलग लगाएं, सींग पर मौली बांधें और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर गौ माता के चरण स्पर्श करें।

यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं तो शनिवार के दिन अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों का तेल दीपक व धूप अगरबत्ती अर्पित करें। वहीं बैठकर क्रमशः हनुमान, भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा करें।

प्रत्येक शनिवार को वट एवं पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाकर शुद्द कच्चा दूध एवं धूप आदि अर्पित करें। शनिवार का दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ दिन होता है। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शास्त्रों में बहुत सारे उपाय बताए गए हैं लेकिन जो शक्ति शनि मंत्र है वह अन्य किसी उपाय में नहीं है।

शनि स्तोत्र

नमस्ते कोणसंस्थाय पिडगलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते।।

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।

नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते। प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।

वैदिक शनि मंत्र

"ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः"

पौराणिक शनि मंत्र

"ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

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तांत्रिक शनि मंत्र

"ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"

शनिदेव को खुश करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सूर्योदय से पहले जगकर पीपल की पूजा करने से शनिदेव खुश होते हैं। इस दिन पीपल के पेड़ में सरसों का तेल चढ़ाने से शनि देव अति प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा शनिश्चरी अमावस्या को संध्याकाल में ऊपर बताए मंत्रों के जाप से शनि का प्रकोप शांत होता है। साथ ही शनिदेव को इस मंत्र से पूजा करने से जो भी शनि की महादशा भी खत्म होती है।

 

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