सुख-सौभाग्य में वृद्दि का प्रतीक है शंख, अगहन माह में जरूर करें विधि-विधान से पूजा
लखनऊ: विष्णु पुराण के अनुसार समुद्र से शंख की उत्पति हुई है। शंख समुदंर मंथन से निकले 14 रत्नों में से ये एक रत्न है। कहा जाता है कि घर में सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए शंख को स्थापित करना चाहिए। मान्यता है कि अगहन (मार्गशीर्ष) के माह में शंख पूजन करने से शुभ फल मिलता है।
शंख का पूजन में कुमकुम, चावल, जल का पात्र, कच्चा दूध, एक साफ कपड़ा, एक तांबा या चांदी का पात्र (शंख रखने के लिए), सफेद पुष्प से करना चाहिए। इस मंत्र से करें पूजन....
शंख पूजन मंत्र
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥
* सुबह में स्नान कर साफ धुले हुए कपड़े पहनें। पटिए पर एक पात्र में शंख रखें।
*अब उसे कच्चे दूध और जल से स्नान कराएं। अब स्वच्छ कपड़े से पोंछ दें।
*सभी धार्मिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है। साथ ही शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसकी पूजा महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली होती है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है।