लखनऊ : शरद पूर्णिमा यानी की आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा। इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन विधि विधान के साथ किया जाता है और भक्त व्रत भी रखते हैं। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि को लेकर भ्रम बना हुआ है कुछ लोग 23 अक्टूबर तो कुछ 24 अक्टूबर को होना बता रहे हैं। ऐसे में हमने इसकी सही तिथि पता करने की कोशिश की ताकि भक्तों को पूजन का सही दिन व शुभ समय पता चल सके।
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आइए जानते हैं सही समय और पूजन काल
आश्विनपौर्णमास्यां कोजागर व्रतम्।। केचित्पूर्वदिने निशीथव्याप्तिमेव परदिने प्रदोषव्याप्तिरेव तदा परेत्याहुः।।
अर्थात शरद पूर्णिमा व्रत प्रदोष और निशीथ दोनों में व्याप्त पूर्णिमा के दिन किया जाता है। लेकिन इस बार यहीं एक पेंच फंस रहा है पहले दिन पूर्णिमा केवल निशीथ काल यानी मध्य रात्रि में हो और दूसरे दिन प्रदोष काल में तब दूसरे दिन यह व्रत करना चाहिए।
नोट कीजिए
23 को रात्रि 10 बजकर 37 मिनट से पूर्णिमा लग रही है, जिससे निशीथ काल में पूर्णिमा तिथि होगी। 24 को शरद पूर्णिमा रात्रि 10 बजकर 15 मिनट तक है, यह प्रदोष व्यापिनी है। तो भक्तों 24 को ही शरद पूर्णिमा है ये हम इसलिए कहने में समर्थ है क्योंकि शास्त्रों में जो नियम हैं ये उसके मुताबिक उचित है।
पूजन और मुहूर्त
24 की संध्या 5 बजकर 40 मिनट से 5 बजकर 45 मिनट का काल अत्यंत शुभ है। इन 5 मिनट में आप के द्वारा जो भी शुभ कार्य संपन्न होने उन्हें मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से पूर्णता प्राप्त होगी।
यदि ये मुहूर्त आपसे छूट जाता है तो रात्रि 9 बजकर 24 मिनट से रात 11 बजकर 37 मिनट भी शुभ मुहूर्त है।