जयपुर:सोम प्रदोष व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी को रखा जाता है। जब सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं। सोम प्रदोष व्रत में शिव की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को पड़ने वाली सोम प्रदोष व्रत 25 जून 2018 (सोमवार) को है। सोम प्रदोष व्रत का उल्लेख स्कन्द पुराण में किया गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन शाम के समय को प्रदोष कहा जाता है। इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है।
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महत्व प्रदोष व्रत के विषय में शास्त्रीय मान्यता है कि जिस भी दिन यह व्रत आता है, उसके आधार पर इस व्रत का नाम और महत्व बदलता जाता है। मान्यता के अनुसार यदि आप रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं तो हमेशा निरोग रहेंगे।इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इसके बाद यदि सोमवार के दिन व्रत करते हैं तो इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है।बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है। गुरूवार के प्रदोष व्रत से शत्रु का नाश होता है। शुक्रवार प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है। शनिवार के दिन जो मनुष्य प्रदोष व्रत रखता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है।
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पूजा-विधि सोम प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त के बाद रात होने से पहले के बीचे का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस प्रदोष काल में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है। शिव जी के किसी स्वरूप की पूजा की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की (बेलपत्र), गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।