इस मंदिर में होती है 20 हजार चूहों की पूजा, मिलता है जूठा प्रसाद

Update: 2016-05-30 10:02 GMT

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करनी माता मंदिर, बीकानेर

राजस्‍थान: आजकल चूहा देखते ही लोग उसे मारने के लिए बाजार से दवाई ले आते हैं। या फिर उसे घरों से उसे भगाने के पीछे पड़ जाहे हैं। वहीं हमारे ही देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां लगभग 20,000 चूहे देखने को मिल जाएंगे। हम बात कर रहे हैं मां करनी माता मंदिर की, जो कि राजस्‍थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक गांव की सीमा में स्थित है।

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कहते हैं कि इस मंदिर को चूहे वाला मंदिर

इस मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। करनी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहां एक गुफा में रह कर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। कहते हैं कि करनी माता 151 वर्ष जिन्दा रहकर 23 मार्च 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी। उनके ज्योतिर्लिन होने के बाद भक्तों ने उनकी मूर्ति की स्थापना कर के उनकी पूजा शुरू कर दी। जो कि तब से अब तक निरंतर जारी है।

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चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में बारीक जालियां भी लगाई गईं हैं, जिससे उनकी रक्षा चील, गिद्ध और अन्‍य जानवरों से की जा सके।

मां करनी मंदिर के बारे में आइए जानते हैं और भी रोचक बातें साथ ही यह भी पता लगाएंगे कि इन चूहों के पीछे आखिर कौन सा राज़ छुपा हुआ है-

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यह मंदिर किसने बनवाया

इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के राजा गंगा सिंह द्वारा 20वीं शताब्‍दी में करवाया था। यह मंदिर काफी बड़ा और सुंदर है। यहां चूहों के अलावा, चांदी के बडे़-बड़े किवाड़, माता के सोने के छत्र और संगमरमर पर सुन्दर नक्काशियों को दर्शाया गया है।

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जानिए कौन हैं ये चूहे

माना जाता है कि ये चूहे करनी माता की संतान हैं। करनी माता की कथा के अनुसार एक बार उनका सौतेला पुत्र लक्ष्मण, सरोवर में पानी पीने की कोशिश में डूब कर मर गया। जब करनी माता को यह पता चला तो उन्होंने, यम राज को उसे पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। पहले तो यम राज ने मना किया पर बाद में उन्होंने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया।

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सबसे पवित्र हैं सफेद चूहे

इन 20 हज़ार काले चूहों के बीच में 7 सफेद चूहे भी घूमते हैं, जो कि सबसे पवित्र माने जाते हैं। अगर आपको यह मंदिर में कहीं दिख जाएं तो समझ जाइए कि आप बहुत भाग्‍यशाली हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं जल्‍द पूरी हो जाएंगी।

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कदम घसीटते हुए चलना होता है मंदिर में

मंदिर के नियम के हिसाब से अगर किसी भक्‍त का पैर किसी भी चूहे के ऊपर पड़ गया और वह मर गया तो यह एक घोर पाप होगा। इसलिए मंदिर आने वाले भक्‍तों को अपना पहला कदम घसीटते हुए चलना होता है। पाप का भुगतान करने के रूप मे अपराधी को एक सोने या चांदी के चूहे की मूर्ति खरीद कर मंदिर में ही रखनी पड़ती है, तब जा कर उसका पाप धुलता है।

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जानिए कौन हैं करनी माता

करनी मां को मां जगदंबा का अवतार माना जाता है। उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। उनकी शादी के बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया। तो और उन्‍होंने खुद को माता की भक्‍ति और लोगों की सेवा में लगा दिया। इस मंदिर में एक गुफा भी है। जहां पहले करनी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी। कहते हैं यही पर माता जी ज्योतिर्लिन हुई थी।

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भक्‍त चूहों का जूठा प्रसाद खाते हैं

यहां पर रहने वाले चूहों को काबा कहा जाता कहां जाता है। मां को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को पहले चूहे खाते हैं, फिर उसे बांटा जाता है।

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