अगर जा रहे हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर, तो जरूर जान लें वहां से जुड़े ये 5 रहस्य

कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है। जिनके नाम हैं - ब्रह्मपुत्र, सिंधू, सतलज व करनाली। इन नदियों से अन्य नदियां निकली हैं।

Update:2017-03-26 16:38 IST

लखनऊ: जब भी भगवान शिव के दर्शनों का नाम लिया जाता है, तो लोगों के मन में सबसे पहले कैलाश यात्रा का ख्याल आता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों को एक लाख रुपए का अनुदान देने की घोषणा की है। हमारे देश में काफी सालों से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर लोग जा रहे हैं। कहते हैं कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजते हैं, वहां जाने के बाद हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें मानसरोवर के बारे में ठीक से जानकारी नहीं है। तो बताते हैं आपको कैलाश मानसरोवर से जुड़े रहस्य ओर बातें।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत और मानसरोवर धरती का केंद्र है और यह हिमालय के मध्य मे स्थित है। मानसरोवर को शिव धाम कहा जाता है और यह हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। मानसरोवर के पास एक सुंदर सरोवर रकसताल है। इन दो सरोवरों के उत्तर में कैलाश पर्वत है। दक्षिण में गुरला पर्वतमाला और गुरला शिखर है। मानसरोवर की वजह से कुमाऊं की धरती पुराणों में उत्तराखंड के नाम से जानी जाती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है और हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। कैलाश पर्वत मानसरोवर झील से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से इसकी धार्मिकता और गहरी होती है। कहते हैं कि यहां जो भी एक बार जाता है, वह शिव की भक्ति में रम जाता है।

वहीं कैलाश मानसरोवर के कई रहस्य आज भी लोगों को हैरान करते हैं। यहां जाने वाला हर इंसान इन रहस्यों के बारे में जरूर जानना चाहता है। बताते हैं आपको कैलाश पर्वत के रहस्यों के बारे में।

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1- चार धर्मों का तीर्थ स्थल : कैलाश पर्वत को चारों धर्मों का तीर्थ स्थल कहा जाता है। यहां पर हिंदू, जैन, बौद्ध ऑर सिखों का आध्यात्मिक केंद्र है।

-तिब्बतियों के संत कवि ने कैलाश मे कई सालों तक तपस्या की थी।

-बौद्ध भगवान बुद्ध तथा मणिपद्मा का निवास मानते हैं कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है।

-जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल 'अष्टपद' है। कहते हैं ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश की यात्रा की थी।

-हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है, जो ब्राह्मंड की धुरी है और यह भगवान शंकर का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है।

-वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि कैलाश पर्वत पर गुरु नानक ने भी यहां कुछ दिन रुककर ध्यान किया था। इसलिए सिखों के लिए भी यह पवित्र स्थान है।

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2- कैलाश क्षेत्र : बता दें कि कैलाश पर्वत के क्षेत्र को स्वंभू कहा गया है। साइंटिस्ट मानते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप के चारों और पहले समुद्र होता था। इसके रशिया से टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ। अनुमान लगाया गया है कि यह घटना अनुमानत: 10 करोड़ वर्ष 10 करोड़ साल पहले घटी थी।

बताया जाता है कि भगवान शिव के निवास की इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है। जहां पर 'ॐ' की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है।

3- हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार कैलाश पर्वत कुबेर की नगरी है। यहीं से भगवान महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। प्रभु शिव कैलाश पर्वत पर विराजते हैं। इसके ऊपर स्वर्ग ओर नीचे मृत्यु लोक है। बता दें की मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है पुराणों में इसे 'क्षीर सागर' कहा गया है। इसी में भगवान विष्णु लक्ष्मी माता संग विराजकर पूरे संसार का संचालन कर रहे हैं।

4- बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि कैलाश पर्वत के केंद्र में एक एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।

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5- भारत और चीन की नदियों का उद्गभ स्‍थल : कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है। जिनके नाम हैं - ब्रह्मपुत्र, सिंधू, सतलज व करनाली। इन नदियों से अन्य नदियां निकली हैं।

बताया जाता है की कैलाश मानसरोवर की यात्रा मात्र से ही सारे पाप धुल जाते हैं और आने वाले इंसान को मरने के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। भारतीय दार्शनिकों और साधकों का यह प्रमुख स्थल है। स्वर्ग जैसे इस स्थान पर सिर्फ ध्यानी और योगी लोग ही रह सकते हैं या वह जिसे इस तरह के वातावरण में रहने की आदत है। यहां चारों तरफ कल्पना से भी ऊंचे बर्फीले पहाड़ हैं। जैसे कुछ पहाड़ों की ऊंचाई 3500 मीटर से भी अधिक है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई तो 22028 फुट हैं। आपको 75 किलोमीटर पैदल मार्ग चलने चलने और पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए तैयार रहना रहना होगा।

 

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