वैध-अवैध के चक्कर में फंसा 98 साल पुराना बूचड़खाना, आपस में ही भिड़े दो सरकारी विभाग
शाहजहांपुर: प्रदेश भर में चल रहे बूचड़खानों को ले सरकार और प्रशासन की सख्ती जारी है। इसी क्रम में शाहजहांपुर में भी बुधवार को प्रशासन ने नगरपालिका क्षेत्र में चल रहे स्लाटर हाउस पर पुलिस के साथ छापेमारी की। इस दौरान स्लाटर हाउस में काम करने वाले फरार हो गए। देखते-देखते वहां लोगों का हूजूम इकठ्ठा हो गया। बता दें कि जिले का यह बूचड़खाना करीब 98 साल पुराना है।
इस दौरान मौके पर मौजूद नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी मुनेंद्र सिंह की टीम के साथ छापेमारी करने आई टीम की नोंकझोक भी हुई। जिसके बाद जिला प्रशासन की टीम उल्टे पांव रवाना हो गई। नगरपालिका अधिकारी और पुलिस की अलग-अलग राय होने के बाद अब जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी। इसके बाद ही साफ हो पाएगा कि यह बुचडखाना वैध है या अवैध।फिलहाल प्रशासनिक अमले का कहना है कि जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी जाएगी।
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काम कर रहे लोग फरार
दरअसल, प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनते ही राज्य के विभिन्न जिलों में बूचड़खानों पर छापेमारी शुरू हो गई है। इसी क्रम में डीएम द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में बनाई गई टीम ने सदर बाजार थाना क्षेत्र में नगर पालिका की जमीन पर चल रहे बूचड़खाने पर छापेमारी की। इस दौरान वहां पर काम कर रहे लोग भाग गए।
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आपस में भिड़े दो विभाग
छापेमारी की खबर सुनते ही नगर पालिका के ईओ भी वहां पर पहुंच गए। उसके बाद दोनों टीमों में बूचड़खाने को लेकर जमकर बहस होने लगी। हालांकि, जिस वक्त छापेमारी की गई थी। उस वक्त क्षेत्र में हड़कंप मच गया था।
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वैध-अवैध में उलझा मामला
बता दें कि यह बूचड़खाना 1919 में खोल गया था। जिसके अब करीब 98 साल हो चुके हैं। वहीं जिला प्रशासन ने छापेमारी कर जांच रिपोर्ट शासन को भेजने की बात की है। छापेमारी टीम में मौजूदा पशु चिकित्सा अधिकारी ने इस बूचड़खाने में मानक के अनुरूप काम न होना बताया है। तो वहीं, नगरपालिका के ईओ ने इसे पूरी तरह से वैध बताया है।
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ये कहना है पशु चिकित्सा अधिकारी का
प्रशासनिक टीम के पशु चिकित्सा अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि 'डीएम के आदेश पर ककरा क्षेत्र में चल रहे बूचड़खाने पर छापेमारी की है। यहां मानकों के अनुरूप काम होता नहीं दिख रहा। यह बूचड़खाना नगरपालिका की जमीन पर बना है, जो आबादी के बीच में है। छापेमारी के दौरान नगर पालिका के ईओ से बात हुई है। उन्हें कागजात दिखाने की बात कही है।'
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नगरपालिका ईओ ने बताया वैध
वहीं, नगरपालिका ईओ मुनेंदर सिंह ने बताया कि 'यह बूचड़खाना नगरपालिका की जमीन पर बना है। इसे बने करीब 98 साल हो चुके हैं। यहां रोज सुबह डॉक्टर आते हैं। वह जानवरों की जांच कर उसकी रिपोर्ट देते हैं जिसके बाद ही उसे काटा जाता है। ये बूचङखाना रजिस्टर्ड है।'
अब इस बूचड़खाने का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि डीएम ने रिपोर्ट में सरकार को क्या जानकारी दी है, कि क्या ये बूचड़खाना वैध है या अवैध। इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।