Lucknow News: 58 साल बाद विधानसभा में लगी अदालत, छह पुलिसकर्मियों को एक दिन की कैद, इससे पहले टांगकर लाए गए थे ये नेता...

Lucknow News: 2023 से पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी। तब सोशलिस्ट पार्टी के केशव सिंह को सात दिन के लिए जेल भेजा गया था। केशव को मार्शल जब गोरखपुर से लेकर आए तो लखनऊ में वह रेलवे स्टेशन पर ही लेट गए थे।

Newstrack :  Network
Update:2023-03-04 19:41 IST

Lucknow News (Pic: Social Media)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा शुक्रवार को 19 साल पुराने विधायक विशेषाधिकार हनन के एक मामले की सुनवाई के लिए अदालत में तब्दील हो गई। इस दौरान विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी छह पुलिसकर्मियों को एक दिन कारावास की सजा सुनाई गई। विधानसभा के स्पीकर सतीश महाना ने जज के तौर पर छह पुलिसकर्मियों को उस दौरान विधायक पर लाठीचार्ज करने का दोषी पाया। दोषियों को एक दिन तक विधानसभा परिसर के लॉकअप में बंद करने का आदेश दिया गया। इस दौरान विधायकों ने पैरवी की और स्पीकर महाना ने यह निर्णय सर्वसम्मति से दिया। फिर दोषी पुलिसकर्मियों को अपनी सफाई में बोलने का मौका दिया।

इसमें दोषी सीओ अब्दुल समद ने सभी की तरफ से सदन से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि ऐसी गलती भविष्य में नहीं होगी। लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और इसके बाद मार्शल सभी दोषी पुलिसकर्मियों को सदन से ले गए।

यह था अवमानना का पूरा मामला

2004 में सपा सरकार में बिजली कटौती के विरोध में तब नेता के तौर पर सतीश महाना कानपुर में धरने पर बैठे थे। इस दौरान बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना विधानसभा सत्र में रखी गई थी। सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 17 साल पहले ही सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका था। लेकिन 2005 के बाद से अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ था। जो इस बार के विधानमंडल सत्र के दौरान किया गया। इस मामले में सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई कोतवाली त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे सिंह यादव, मेहरबान सिंह, और विनोद मिश्र को सजा दी गई।

इससे पहले 1964 में उठाकर लाए गए थे केशव सिंह

इससे पहले जब विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी, तब सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता केशव सिंह को 7 दिन के लिए जेल भेजा गया था। विधानसभा की मर्यादा से जुड़े एक मामले में केशव को विशेषाधिकार समिति ने तलब किया तो उन्होंने आने से इनकार कर दिया। इसके बाद केशव को मार्शल जब गोरखपुर से लेकर आए। वह रेलवे स्टेशन पर भी चलने से इनकार करते रहे और लेट गए। फिर मार्शल उन्हें उठाकर वहां से विधानभवन के भीतर लाए थे। सजा सुनाए जाने के बाद भी केशव विधानसभा से चले नहीं और फिर उन्हें मार्शलों को उठाकर ही ले जाना पड़ा था।

ऐसे बदलती है विधानसभा कोर्ट में

भारत का संविधान सांसदों-विधायकों को अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए कुछ विशेषाधिकार देता है। जब कोई उनकी जिम्मेदारियों में बाधा डालता है तो सदस्य विशेषाधिकार के हनन का सवाल खड़ा करते हैं। अगर उस बाधा से सदन की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ता दिखता है तो उसे अवमानना के दायरे में रखा जाता है। ऐसे में सदन की विशेषाधिकार समिति के नियमावली के अनुसार सदन चेतावनी, निलंबन, बर्खास्तगी या कारावास का दंड दे सकता है। इसके लिए उसे जांच करने, आरोपित को बुलाने व पेश करने का आदेश देने का अधिकार है। आम तौर पर इसके अध्यक्ष स्पीकर होते हैं और सुनवाई के बाद आरोपी को सजा दी जा सकती है या माफ़ भी किया जा सकता है। 

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