10 साल में 106 बच्चों को नहीं ढूंढ़ पाई पुलिस, अब फेसबुक की लेगी मदद

Update: 2016-03-20 16:45 GMT

आगरा: 10 साल से भी ज्यादा समय से लापता 106 बच्चों का पता लगाने के लिए आगरा पुलिस ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट की मदद लेने का फैसला किया है। फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप पर लापता बच्चो के बारे में जानकारी डाली जायेगी ताकि लोग उसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लापता बच्चों को उनके परिजनों से मिलवाया जा सके।

लापता बच्चो के परिजनों की मांग पर पुलिस हुई सक्रीय

14 वर्षीय अभिषेक उर्फ़ बिट्टू जनवरी 2016 से लापता है। अभिषेक की जांच नए सिरे से शुरू करने की घोषणा और 6 वर्षीय दिव्य की 80 घंटो में सकुशल वापसी के बाद अन्य लापता बच्चों के परिजनों ने अपने बच्चों की सकुशल वापसी कराने की मांग को लेकर पुलिस विभाग सक्रीय हो गया है। पुलिस विभाग ने सोशल मीडिया का सहारा लेने का फैसला किया है।

क्या कहना है पुलिस अधीक्षक का

-आगरा शहर के एसपी सुशील घुले ने कहा कि लापता नाबालिगों से संबंधित सभी मामलो की जांच फिर से शुरु की जाएगी।

-एसपी ने सभी पुलिस स्टेशन को वर्तमान की स्थिति के साथ लापता बच्चों की रिपोर्ट तैयार कर भेजने को कहा है।

-पिछले कुछ समय में टि्वटर, फेसबुक और वॉट्सएप के अलावा अन्य सोशल मीडिया की मदद से गुमशुदा हुए कई बच्चों को मिलना संभव हुआ है।

-इस तरह की सफलता को देखते हुए पुलिस ने डिजिटल तरीका अपनाया है।

-यह एक अच्छा माध्यम है जिससे इस तरह की जानकारी आसानी से साझा की जा सकती है।

कैसे होगा क्रियान्वयन

-नाबालिग बच्चो के अपहरण से संबंधित केसों की जांच कर रहे दो जांच अधिकारी आगरा पुलिस' के फेसबुक पेज पर हर दिन फोटो, नाम, पते के साथ लापता बच्चों का ब्यौरा अपलोड करेंगे।

-फेसबुक के साथ-साथ ट्विटर और वॉट्सएप पर लापता बच्चो के बारे में जानकारी डाली जायेगी आगरा पुलिस का कहना है इससे सभी तो नहीं, लेकिन कुछ बच्चो के ठिकानों का पता तो लगाया ही जा सकेगा।

क्या है लापता बच्चो को ढूंढने की प्रक्रिया

-वर्तमान सिस्टम के अनुसार गायब बच्चों को 4 महीने थाना स्तर पर तलाश के बाद यह मामले एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को सौंपा जाता है।

-यहां एएसपी और डीएसपी स्तर के पुलिस अफसरों की मॉनीटरिंग में लापता की तलाश की जाती है।

-अभी भी पुलिस पुराने तरीकों, जैसे पोस्टर या फोटो के जरिए लापता बच्चों को खोजती है।

-लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिलती है।

-इसी के चलते अब पुलिस ने फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया का उपयोग करने का फैसला लिया है।

थाना एत्माद्दौला क्षेत्र से सबसे ज्यादा बच्चे लापता

-एक RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार साल 2005 से अब तक लगभग 106 बच्चे लापता है।

-इनमे सबसे ज्यादा 25 बच्चे एत्माद्दौला थाना क्षेत्र से लापता हैं।

-11 बच्चे शाहगंज थाना क्षेत्र से लापता हैं।

-10 बच्चे जगदीशपुरा थाना क्षेत्र से लापता हैं।

-9 बच्चे ताजगंज थाना क्षेत्र से लापता हुए है।

-अन्य लापता बच्चे आगरा जिले के अन्य थाना क्षेत्रो से गायब हैं।

2015 में लापता हुए सबसे ज्यादा बच्चे

-RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार साल 2015 आगरा में सबसे ज्यादा 26 बच्चे लापता हुए।

-साल 2014 में 17 बच्चे लापता हुए।

-साल 2013 में 15 बच्चे लापता हुए।

-साल 2012 में 13 बच्चे लापता हुए है।

क्या कहना है बाल अधिकार सामाजिक कार्यकर्ता का

-बाल अधिकार सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने बताया को पुलिस को सोशल साइट्स की मदद से लापता बच्चो को खोजने में काफी आसानी होगी।

-नरेश ने फेसबुक की मदद से पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और देश के अन्य प्रदेशो से लगभग आधा दर्जन लापता बच्चो को उनके परिजनों से मिलवाया है।

-नरेश ने कहा सोशल साइट्स के जरिये लापता बच्चों की तलाश करने की पुलिस की पहल स्वागत योग्य है।

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