प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नई पेंशन योजना थोपने के मामले में राज्य सरकार से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 27 मार्च को होगी। कर्मचारी यूनियन राजकीय मुद्रणालय प्रयागराज के नेताओ की तरफ से हलफनामा दाखिल कर दो दिन का वेतन पुलवामा पीड़ितों के सहायतार्थ भेजे जाने का आश्वासन दिया गया और स्वतः प्रेरित जनहित याचिका में पक्षकार बनाने की अर्जी दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता टी पी सिंह व राजवेंद्र सिंह ने कर्मचारी नेताओ की तरफ से पक्ष रखा। राज्य सरकार की तरफ से याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया।
मालूम हो कि नई पेंशन योजना के विरोध व पुरानी पेंशन लागू करने की मांग में कर्मचारियों की हड़ताल हुई। राजकीय मुद्रणालय के कर्मचारियों की हड़ताल से काजलिस्ट न छपने के कारण न्यायिक कार्यवाही में आये व्यवधान को लेकर कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर कर्मचारी हड़ताल को अवैध करार दिया और हड़ताली कर्मचारियों पर कार्यवाही का निर्देश दिया। कर्मचारियों ने हाई कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए हड़ताल खत्म कर दी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कर्मचारियों की सहमति बगैर पुरानी पेंशन बन्द कर नई पेंशन कैसे लागू की है। कर्मचारियों के वेतन का पैसा शेयर मार्केट में कैसे लगाया गया है। शेयर डूबने पर कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन क्यों तय नही की जा सकती।नई स्कीम अच्छी है तो नेताओ व् अन्य पर क्यों नही लागू करते।सरकार का कहना था ,केंद्र की योजना राज्य ने लागू की है।वह बदलाव नही कर सकती।कोर्ट ने पूछा कि जब बाध्यकारी नही था तो सरकार ने क्यों स्वीकार किया।कोर्ट के बजाय क्या सरकार को कर्मचारियों से बात कर विवाद नही सुलझा सकती।मामले की सुनवाई 27 मार्च को होगी।