हाईकोर्ट-सीओ को बिना केस प्रताड़ित करने पर फटकार, आगे ऐसा न करने कि दी नसीहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीओ करछना सच्चिदानन्द को बिना आपराधिक केस या एफआईआर दर्ज हुए कम्पनी के डायरेक्टरों व अधिकारियों को प्रताड़ित करने पर कड़ी फटकार लगाई है।

Update: 2019-05-16 16:23 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीओ करछना सच्चिदानन्द को बिना आपराधिक केस या एफआईआर दर्ज हुए कम्पनी के डायरेक्टरों व अधिकारियों को प्रताड़ित करने पर कड़ी फटकार लगाई है। सीओ की कम आयु को देखते हुए कोई एक्शन लेने के बजाय भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने की नसीहत देते कम्पनी के खिलाफ केस दर्ज होने की स्थिति में विवेचना से अलग रहने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट की सीओ के खिलाफ टिप्पणी उसके कैरियर में बाधक नहीं बनेगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कम्पनी लि. की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकान्त व तरुण अग्रवाल ने बहस की। इनका कहना था कि याची व विपक्षी में समझौता हो गया है। याची ने बकाये का भुगतान कर दिया है। उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं चल रही है। इसके बावजूद बिना विधिक अधिकार के सीओ उन्हें परेशान कर रहा है। कोर्ट के आदेश पर सीओ हाजिर हुए।

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सरकारी वकील डी.के. तिवारी ने कहा कि पक्षकारों में समझौता याची के दबाव में हुआ है किंतु व्याज का भुगतान नही किया गया है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित विपक्षी वसूली वाद दायर कर सकता है, आपराधिक केस कायम कर सकता है, एफआईआर दर्ज कर सकता है। बिना किसी आपराधिक केस के पुलिस को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। सीओ यह नहीं बता पाये कि बिना एफआईआर या जीडी में प्रविष्टि के वह किस कानून के तहत कार्यवाही कर रहे है। युवा सीओ के कैरियर को देखते हुए उन्हें भविष्य में सावधान रहने की कोर्ट ने नसीहत दी और कहा कि कम्पनी के खिलाफ वे विवेचना नही करेंगे।

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