निजी फायदों के लिए धर्म परिवर्तन गलत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जिहाद मामले में सुनाया फैसला

Love jihad: उत्तर प्रदेश में लव जिहाद (Love Jihad) के बढ़ते मामलों के बीच अब इस पूरे घटना में अकबर और जोधाबाई की कहानी की एंट्री हुई है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shweta
Update: 2021-08-03 11:22 GMT

कॉन्सेप्ट फोटो (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Love jihad: उत्तर प्रदेश में लव जिहाद (Love Jihad) के बढ़ते मामलों के बीच अब इस पूरे घटना में अकबर और जोधाबाई की कहानी की एंट्री हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने केवल शादी के लिए धर्म परिवर्तन किए जाने पर चिंता जताई है।एक मामले की सुनवाई करने के दौरान ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुगल बादशाह अकबर और जोधाबाई की शादी का उदाहरण देते हुए धर्म परिवर्तन से बचने की सलाह दी है।

अदालत ने टिप्पणी की है कि अकबर-जोधाबाई की शादी से सबक लेकर धर्म परिवर्तन की गैर-ज़रूरी घटनाओं से भी बचा जा सकता है। हाई कोर्ट की इस टिप्पणी में यह ज़िक्र किया गया कि अकबर-जोधाबाई ने बिना धर्म परिवर्तन के ही विवाह किया। एक-दूसरे का सम्मान किया और धार्मिक भावनाओं का भी आदर किया था। दोनों के रिश्तों के बीच कभी भी धर्म आड़े नहीं आया था। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के जिला एटा निवासी जावेद की जमानत याचिका के मामले में सुनवाई के दौरान ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये ज़िक्र किया। अदालत ने यह कहा कि धर्म आस्था का विषय होता है और ये आपकी जीवन शैली को दर्शाता है।

'निजी फायदों के लिए धर्म परिवर्तन गलत' हाईकोर्ट ने कहा कि ईश्वर के प्रति आस्था जताने के लिए किसी भी विशेष पूजा पद्धति का होना जरूरी नहीं है। विवाह के लिए समान धर्मों का होना भी जरूरी नहीं है। ऐसे में केवल शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया जाना पूरी तरह गलत होता है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि इस तरह के धर्म परिवर्तन में धर्म विशेष में कोई आस्था नहीं होती है। यह फैसला हमेशा डर, दबाव और लालच में लिया जाता है। केवल शादी के लिए किया गया धर्म परिवर्तन गलत है और यह शून्य होता है। इसकी कोई संवैधानिक मान्यता नहीं होती है। फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपने फायदे के लिए किया गया धर्म परिवर्तन ना केवल व्यक्तिगत रूप से नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह देश और समाज के लिए भी खतरनाक होता है। इस प्रकार के धर्म परिवर्तन की घटनाओं से धर्म के ठेकेदारों को बल और विघटनकारी ताकतों को और बढ़ावा मिलता है।

दरअसल मामला यह है कि एटा जिले के जावेद ने एक हिन्दू लड़की को बहला-फुसलाकर उसके साथ शादी की थी। बाद में लड़की का धर्म परिवर्तन के लिए कागज़ों पर दस्तखत कराए गए थे। धर्म बदलने के एक हफ्ते में शादी हो गई थी। लेकिन बाद में लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद के साथ धोखाधड़ी किए जाने की बात कही। लड़की के बयान पर जावेद को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जावेद की जमानत की याचिका इन्हीं दलीलों के आधार पर कोर्ट ने खारिज कर दी है। मंगलवार को इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा गया कि धर्म आस्था का विषय होता है।

कोई भी व्यक्ति अपनी-अपनी पूजा पद्धति के अनुसार ईश्वर के प्रति अपनी आस्था जता सकता है। आस्था जताने के लिए पूजा पद्धति व धर्म कतई बीच में नहीं आ सकता है। धर्म परिवर्तन के बिना भी विवाह किया जा सकता है। फैसले में यह भी कहा गया कि अपने जीवन साथी, उसके धर्म, उसकी आस्था और उसकी पूजा पद्धति का सम्मान करके अपने रिश्ते को और भी मजबूत किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने इस मामले में संविधान रचयिता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा किए धर्म परिवर्तन की परिस्थितियों का भी जिक्र किया है। कोर्ट ने यह कहा है कि अपनी मर्जी से किसी भी धर्म और उसकी पूजा पद्धति में आस्था जताने का हर किसी को अधिकार है। लेकिन डर- दबाव -लालच व धोखाधड़ी से किया गया धर्म परिवर्तन, निजी जीवन के अलावा देश व समाज के लिए भी बेहद खतरनाक होता है।

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