लखनऊ: वैकल्पिक ऊर्जा आज पूरे विश्व के फोकस में है। जिस तरह तेल के दाम बढ़ते जा रहे हैं, कोयला जलाने और बड़ी-बड़ी पनबिजली योजनाओं से जिस प्रकार से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है उससे अब सोलर एनर्जी की डिमांड बहुत बढ़ गयी है। भारत में और चाहे जिस चीज की कमी हो, लेकिन एक चीज दिल खोल कर मिली है - धूप ! साल में कम से कम आठ महीने तो चटक धूप ही रहती है और हम उसका फायदा ही नहीं उठा रहे। सो क्यों न इन गर्मियों में आप भी हो जायें सोलर? अपने घर को सोलर एनर्जी से आबाद करें, पैसा बचाएँ और साथ में पर्यावरण भी!
एक सर्वे के मुताबिक साल 2030 तक देश में बिजली के नेटवर्क का डिस्ट्रीब्यूशन और मैनेजमेंट मुश्किल काम हो जाएगा। ऐसे में केन्द्र सरकार सोलर एनर्जी को बेहतर से बेहतर तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रही है। माना जा रहा है कि तेजी से उभरते इस क्षेत्र पर आने वाले दिनों में बूम आएगा और कारोबार बढऩे के साथ साथ रोजगार के मौके भी मिलेंगे। भारत में 2022 तक 20 हजार मेगावाट बिजली सोलर एनर्जी से पैदा करने का लक्ष्य है। सरकार जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन को रीडिजाइन कर सकती है। अनुमान है कि 2040 तक विश्व की कुल ऊर्जा खपत का पांच फीसदी अकेले सोलर एनर्जी पूरा करेगी। देश में इस समय 2650 मेगावॉट सोलर ऊर्जा का उत्पादन करने की क्षमता है।
बचत ही बचत
सब जानते हैं कि बिजली की कीमत बढ़ती ही जानी है। आजकल सब घरों में बिजली से चलने वाले इतने उपकरण हो गए हैं कि बिजली की खपत की कोई सीमा नहीं रही है। लाइफ स्टाइल बदलने के संग बिजली का खर्चा भी जुड़ जाता है। ऐसे में सोलर एनर्जी के जरिये न केवल बिजली का बिल कम किया जा सकता है, बल्कि ग्रिड एनर्जी यानी पारंपरिक बिजली सप्लाई पर निर्भरता भी घटाई जा सकती है। देश में सोलर पावर प्लांट तो लग ही रहे हैं।
मुमकिन है कि आने वाले समय में घरों में बिजली सप्लाई सोलर प्लांटों से ही होने लगे लेकिन जब तक वह समय नहीं आ रहा तब तक अपने घरों में छोटे प्लांट तो लगाये ही जा सकते हैं। मिसाल के तौर पर पर अगर गीजर के स्थान पर सोलर गीजर लगाया जाये, खाना बनाने के लिए सोलर कुकर प्रयोग में लाया जाये, और मोबाइल आदि चार्ज करने के लिए सोलर चार्जर इस्तेमाल किये जाएँ तो काफी पैसा बचाया जा सकता है। ये जरूर है कि सोलर उपकरण या घरेलू सोलर प्लांट खरीदते वक्त महंगा लगता है लेकिन असलियत में ये एक निवेश है जो लम्बे समय में खर्च बचाता है।
क्या है सोलर एनर्जी
धूप यानी सूरज की किरणों की ताकत से भला कोई कैसे इनकार कर सकता है। सूरज की यही ताकत हमें बिजली दे सकती है। बस करना इतना है कि सूरज की किरणों को ‘सोलर पैनल’ के जरिये बिजली में बदल देना है। ये पैनल चाहे मोबाइल चार्जर में लगा हो या घर की छत पर लगाया गया हो, इनका काम सूरज की किरणों को बिजली में बदल देना है। वैसे, सूरज से बिजली पैदा करने की दो तकनीक हैं। एक है फोटोवोल्टिक और दूसरी कंसन्ट्रेटिंग सोलर पावर।
फोटोवोल्टिक प्रणाली में सूर्य की रोशनी सीधे बिजली में बदल जाती है। चूंकि सूरज फोटोन छोड़ता है और जब ये फोटोन फोटोवोल्टिक सेल पर पड़ते हैं तो बिजली पैदा होती है। फोटोवोल्टिक सेल या पीवी सेल सिलिकॉन की दो परतों से बना होता है। जब सूर्य की रोशनी इस सेल पर पड़ती है तो उसकी परतों में एक विद्युतीय क्षेत्र तैयार हो जाता है। रोशनी जितनी तेज होगी उतनी अधिक बिजली पैदा होगी। दूसरी ओर कंसन्ट्रेटिंग सोलर पावर तकनीक में सूरज की ऊर्जा से पानी उबाला जाता है और फिर उससे बिजली बनाई जाती है। इसमें लेंस या शीशों का प्रयोग किया जाता है जिससे एक बड़े क्षेत्र की रोशनी को एक छोटी किरण में बदला जा सके।
भारत ने पैदा की रेकॉर्ड सोलर एनर्जी
देश में सोलर एनर्जी को तेजी से बढ़ावा देने के परिणाम अब दिखने लगे हैं। भारत ने 20 गीगावाट सोलर एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसके लिए नेशनल सोलर मिशन ने वर्ष 2022 का लक्ष्य रखा था लेकिन भारत ने चार साल पहले ही इसे हासिल कर लिया है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक 20 गीगावाट सोलर ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य को बढ़ाकर 100 गीगावाट कर दिया गया है। एक ताजा शोध के मुताबिक सोलर एनर्जी की उत्पादन क्षमता 20 गीगावाट हो गई है जो वर्ष 2009 में केवल छह मेगावाट थी। ऐसा पहली बार हुआ जब वर्ष 2017 में सोलर एनर्जी भारत के कुल नए ऊर्जा उत्पादन स्रोतों में शीर्ष भागीदार बनकर उभरा है। प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक इस समयावधि में सोलर इन्स्टॉलेशन 9.6 गीगावाट पहुंच गया जो कुल वृद्धि का 45 फीसदी है। सोलर पॉवर जनरेशन में राजस्थान देश का नंबर वन राज्य है। राजस्थान की सोलर एनर्जी उत्पादन की स्थापित क्षमता 1400 मेगा वात से भी ज्यादा की है।
सूरज पर सऊदी अरब की नजर
तेल उत्पादन में बादशाहत हासिल करने के बाद अब सऊदी अरब की नजर दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर है। सऊदी के प्लान में अब सबसे पहला नंबर सूरज से मिलने वाली धूप का है। वह इसके जरिए बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी पैदा करेगा। तेल सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का अहम भाग रहा है। कई दशकों से तेल के जरिए ही सऊदी पैसा बना रहा है। आने वाले वक्त में तेल पर निर्भरता वैसे भी कम होने वाली है, लोग बिजली से चलने वाले वाहनों पर दांव लगा रहे हैं। ऐसे में वह ज्यादा तेल निर्यात कर सकेगा। नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ सऊदी का ध्यान 2016 में गया था। सऊदी के लिए यह सब करना इस वक्त इसलिए भी आसान हो जाएगा क्योंकि सोलर एनर्जी तैयार करने के लिए जो चीजें लगती हैं उसमें पिछले कुछ वक्त में काफी कमी आई है। सोलर एनर्जी बनाने के लिए सऊदी बेहतरीन जगह साबित हो सकती है क्योंकि वहां मौसम खासा गर्म रहता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में की पहली सोलर डील
माइक्रोसॉफ्ट ने कर्नाटक में अत्रिया पावर के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट किया है। यह भारत में माइक्रोसॉफ्ट की इस तरह की पहली डील है। दिग्गज आईटी कंपनी ने कहा है कि इस करार के तहत कंपनी अत्रिया पावर से तीन मेगावाट सौर ऊर्जा खरीदेगी। इस बिजली से बंगलुरु स्थित माइक्रोसॉफ्ट के नएï कार्यालय की अस्सी फीसदी ऊर्जा जरूरत पूरी होगी। हालांकि कंपनी ने इसका खुलासा नहीं किया कि डील कितने में हुई है। कंपनी का नया कैंपस जून से शुरू हो जाएगा। यह करीब 5.85 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। कर्नाटक सरकार स्थानीय स्तर पर सोलर एनर्जी में निवेश को प्रोत्साहन दे रही है। भारत का लक्ष्?य 2022 तक 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा पैदा करना है। जब बंगलुरु के दफ्तर को सौर ऊर्जा मिलने लगेगी तो इसे मिलाकर माइक्रोसॉफ्ट की पूरे विश्व में सौर ऊर्जा की खरीद 900 मेगावाट हो जाएगी।
इस वित्तीय वर्ष हासिल हो जाएगा 20 गीगावॉट सौर ऊर्जा का लक्ष्य
भारत इसी वित्तीय वर्ष में ही २० गीगा वॉट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगा। फरवरी के अंत तक १९.५८ गीगा वॉट की क्षमता हासिल भी हो चुकी है। भारत ने २०२२ तक १०० गीगा वॉट क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। कर्नाटक में विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क बनाया गया है। शक्ति स्थल नामक ये पार्क १३ हजार एकड़ में फैला हुआ है और इससे २ हजार मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेट होगी। जिन किसानों से उनकी जमीने ली गई हैं उन्हें प्रति एकड़ २१ हजार रुपए सालाना किराया भी दिया जा रहा है।
बारिश की बूंदों से भी बनेगी बिजली
सौर ऊर्जा के साथ समस्या है कि बदली - बरसात के मौसम में बिजली पैदा करने में दिक्कत आती है। लेकिन अब इसका समाधान चीन के इंजीनियरों ने खोज निकाला है। इन्होंने ऐसा हाईब्रिड सोलर सेल विकसित किया है जो हर मौसम में काम करेगा। बरसात में पानी की बूंदे जब इन सेल पर गिरेंगी तो इसके इफेक्ट से बिजली उत्पन्न की जाएगी। ‘ट्राइबोइलेक्ट्रिक नैनो जनरेटर’ दो चीजों के घर्षण से काम करते हैं। इन सेल पर जब पानी की बूंदे गिरेंगी और फिसलेंगी तब सोलर सेल एक्टिवेट हो जाएंगे।
घर की छत पर बनाएं बिजली मिलेगी 70 फीसदी सब्सिडी
सोलर एनर्जी के इस्तेमाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बढ़ावा देती हैं जिसके तहत लोगों को सोलर पैनल खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाती है। अगर कोई अपने घर की छत पर सोलर पावर प्लांट लगाकर बिजली पैदा करना चाहे तो केंद्र सरकार से 70 फीसदी सब्सिडी मिलती है। छत पर एक किलोवाट का सोलर पावर प्लांट लगाने में केवल 24 हजार रुपये खर्च करने होंगे। बाकी रकम का खर्च नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय उठाएगा। अपनी खपत के बाद जितनी बिजली बाकी बची रहेगी उसे प्रदेश बिजली बोर्ड वापस खरीद लेते हैं। इसके लिए संबंधित उपभोक्ता को बिजली कंपनी के साथ एक करार करना होता है। केंद्र सरकार की सोलर पावर स्कीम के तहत बैंक भी सोलर पैनल के लिए आसान किश्तों में लोन मुहैया कराते हैं उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ राज्यों में सोलर एनर्जी को बेचने की सुविधा दी जा रही है।
बिजली कंपनियों के साथ ‘पावर परचेज एग्रीमेंट’ साइन करने के बाद सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रति किलोवाट टोटल इन्वेस्टमेंट 60-80 हजार रुपए आती है। विभिन्न कम्पनियां रूफ टॉप पावर प्लांट बेचती हैं जिसमें सोलर पैनल, ग्रिड, ट्रांसफार्मर आदि शामिल होता है। सोलर पैनल के लिए राज्य सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकते हैं। सोलर पैनल करीब 25 साल तक चल जाता है और इसके लिए मेटनेंस का खर्च नहीं आता, लेकिन 10 साल में इनकी बैटरी बदलनी होती है। एक किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल से एक घर की जरूरत का बिजली खर्च आसानी से चलाया जा सकता है लेकिन यदि एक एयर कंडीशनर चलाना है तो दो किलोवाट का सोलर पैनल लगाना चाहिए।
भारत में बने और विदेशी मॉड्यूल्स में कीमत में ज़्यादा फर्क नहीं है पर अगर आपको सब्सिडी चाहिए तो आपको भारत में बने मॉड्यूल्स ही खरीदने चाहिए। भारत में टाटा बीपी सोलर, संकल्प एनर्जी, पीओडब्लू सोलर इंडिया, सोलोन, सहज पावर आदि तमाम कम्पनियाँ रूफ टॉप सोलर प्लांट बेचती हैं।
ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम
अगर घर पर पैदा हो रही सोलर बिजली के अलावा बिजली कम्पनी की सप्लाई भी चाहिए तो जो सिस्टम लगेगा उसे ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम कहा जाता है। यह सिस्टम पारंपरिक बिजली लाइन से भी जुड़ा होता है। अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहाँ बिजली ज़्यादा नहीं जाती है तो ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम लेना चाहिए। उसकी कीमत 50000 से 70000 रुपये प्रति केडब्लूपी होती है (इन्वर्टर और पैनल की क्वालिटी के हिसाब से कीमत बदलती है)।
अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहाँ बिजली बहुत जाती है तो वहां ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाना चाहिए। ऐसे सिस्टम में इन्वर्टर के साथ बैटरी भी होती है। ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम में बैटरी की जरूरत नहीं पड़ती। ऑफ ग्रिड सिस्टम में बैटरी सबसे महंगी होती है और उसको हर चार से सात साल में बदलना पड़ता है। एक ऑफ ग्रिड सिस्टम 1 लाख रुपये प्रति केडब्लूपी होती है।
सोलर एनर्जी से चलाएं ये उपकरण
गार्डन व स्ट्रीट लाइट : सोलर एनर्जी से चलने वाली तमाम तरह की गार्डन व स्ट्रीट लाइट बाजार में उपलब्ध हैं। यह लाइट दिन भर चार्ज होने के बाद रात को 5-6 घंटे जलती है। इसके अलावा, सोलर एनर्जी से चार्ज होने वाली स्ट्रीट लाइट भी उपलब्ध हैं जो दिनभर चार्ज होने के बाद शाम को जल जाती हैं और सुबह तक जलती रहती हैं। गार्डन लाइट 2 साल तक चल जाती हैं और स्ट्रीट लाइट 10 से 15 साल चलती है। गार्डन लाइट तो 250 से 350 रुपये में मिल जाती है वहीं स्ट्रीट लाइट की कीमत दस हजार के आसपास होती है।
सोलर कुकर : सोलर कुकर से सब कुछ तो नहीं बन सकता लेकिन दाल, चावल, आलू/अंडा उबालने, सूप बनाने, पापड़ भूनने, बेक करने आदि तमाम काम लिए जा सकते हैं। अगर इतना सब काम भी सोलर कुकर से लिया जाए तो एलपीजी की अच्छी खासी बचत हो सकती है। सोलर कुकर दो तरह के होते हैं: बॉक्स टाइप और डिश टाइप। अगर घर में तीन से चार लोग हैं तो बॉक्स टाइप कुकर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि डिश टाइप सोलर कुकर उन घरों में फायदेमंद है जहां रोजाना 12 से 15 लोगों का खाना बनता है। इसमें आप तलने का काम भी कर सकते हैं। सोलर कुकर में जो पकाना है, उसे सुबह रखकर छोड़ दीजिए, यह खुद पकता रहेगा। यह कामकाजी लोगों के लिए भी काफी कारगर है। सुबह काम पर जाने से पहले इसमें खाना रख दें। वापस आकर आपको वह गर्मागर्म मिलेगा क्योंकि पकने के बाद यह हॉटकेस का काम करता है। सोलर कुकर की खासियत यह है कि इसमें बना खाना पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है क्योंकि वह धीरे-धीरे बनता रहता है। सोलर कुकर 20 से 25 साल चल जाता है। इसकी कीमत करीब चार हजार होती है।
सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम : आजकल लगभग सभी होटलों, अस्पतालों आदि में पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे सोलर हीटिंग सिस्टम भी आ रहे हैं जिनमें बिजली के एलिमेंट्स लगे होते हैं। ऐसे में ये सोलर एनर्जी उपलब्ध न होने पर पारंपरिक बिजली का प्रयोग भी कर सकते हैं। सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम की लाइफ सबसे ज्यादा होती है। 100 लीटर तक का वॉटर हीटिंग सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक गीजर को रिप्लेस कर सकता है और इससे सालाना लगभग 1500 यूनिट बिजली बचाई जा सकती है।
इसके अलावा यह हर साल 1.5 टन कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन को रोक सकता है। इसकी लाइफ 20-25 साल तक की होती है। 100 लीटर क्षमता वाले सिस्टम 30 हजार में मिल जाते हैं जबकि 250 लीटर क्षमता वाले सिस्टम 80 हजार में आते हैं। पानी गर्म करने के लिए सोलर गीजर का भी उपयोग किया जा सकता है। सोलर गीजर में एक ट्यूबलाइट लगी होती है जो पानी गर्म करती है। सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम और इसमें इस ट्यूबलाइट का ही अंतर है। सोलर गीजर में पानी वॉटर हीटिंग सिस्टम की अपेक्षा धीरे गर्म होता है लेकिन यह उससे सस्ता पड़ता है। 5-6 लोगों के घर के लिए लगभग 250 लीटर का गीजर ठीक रहता है। इसकी लाइफ 15-20 साल तक होती है। इसकी कीमत 14 हजार से 40 हजार तक की होती है।
सोलर इन्वर्टर : आमतौर पर घरों में लगभग 1 किलोवॉट के इन्वर्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे 6 लाइट, 4 पंखे, 1 कंप्यूटर और 1 टीवी को 8 घंटों तक चलाया जा सकता है। इससे कम क्षमता में 650 वॉट के इन्वर्टर का प्रयोग किया जा सकता है जिसमें 2 पंखे, 2 सीएफएल व 1 टीवी सेट चलाया जा सकता है। सोलर इन्वर्टर की बैटरी को 4-5 साल में बदला जाता है। आजकल सोलर इन्वर्टर ग्रिड समर्थित भी आते हैं जिन्हें सोलर एनर्जी न मिलने पर ग्रिड एनर्जी से भी चार्ज किया जा सकता है। सोलर मॉड्यूल की लाइफ 20-25 साल होती है। इसकी कीमत 30 हजार से 60 हजार तक होती है।
होम लाइट सिस्टम : होम लाइट सिस्टम में 2 बल्ब, 1 पंखा, मोबाइल चार्जर व सोलर पैनल होता है। इसके साथ ही एक सिस्टम आता है, जो सोलर पैनल से मिलने वाली ऊर्जा को स्टोर करता है। दिनभर चार्ज होने के बाद बल्ब और पंखे 5-6 घंटे चल जाते हैं। होम लाइट सिस्टम की गांवों में इसकी बहुत मांग है। इसकी कीमत 4200-11000 रुपये है, जो पंखे के साइज व पैनल की क्षमता पर निर्भर है।
सोलर लालटेन : ये दिनभर सोलर एजर्जी से चार्ज होने पर 5-6 घंटे तक का बैटरी बैकअप देती हैं। आजकल सोलर लालटेन के साथ मोबाइल चार्जर का भी विकल्प है। बाजार में उपलब्ध सोलर एनर्जी के साथ ही ग्रिड से चार्ज होने वाली सोलर लालटेन भी उपलब्ध हैं। ये डेढ़ से दो साल चल जाती हैं। इसकी कीमत 2000 रुपये है।
सोलर टॉर्च : सोलर एनर्जी से चलने वाली टॉर्च में रेडियो, ब्लिंकर व मोबाइल चार्जर भी अटैच मिलता है। इसकी कीमत लगभग 1400 रुपये है और यह डेढ़ से दो साल चल जाती है।
मोबाइल चार्जर : बाजार में बैटरी वाले और बिना बैटरी वाले चार्जर उपलब्ध हैं। बैटरी वाले चार्जर से किसी भी समय कहीं भी मोबाइल चार्ज कर सकते हैं, जबकि बिना बैटरी वाले चार्जर से मोबाइल चार्ज करने के लिए धूप का होना जरूरी है। बैटरी वाले चार्जर की कीमत 950 रुपये और बिना बैटरी के चार्जर की कीमत 550 रुपये है। ये पांच साल तक चल जाते हैं।
इन उपकरणों के अलावा सोलर एनर्जी से चलने वाले एयर कंडिशनर, पानी के पम्प, पंखा, कैलकुलेटर आदि ढेरों चीजें सीधे सोलर एनर्जी से चल सकती हैं।