Ram Mandir Nirman: राममंदिर निर्माण की रफ़्तार हुई तेज, दो पत्थरों को जोड़ने में होगा तांबे का इस्तेमाल, ये है बड़ी वजह

Ram Mandir Nirman: रामजन्मभूमि अयोध्या में राममंदिर निर्माण (Ram temple construction) का कार्य जोरों पर चल रहा है। मंदिर निर्माण में तांबे का भी प्रयोग (Use of copper in temple construction) किया जाएगा।

Report :  NathBux Singh
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-02-01 12:35 GMT

Ram Mandir Nirman: रामजन्मभूमि अयोध्या में राममंदिर निर्माण (Ram Temple Construction) का कार्य जोरों पर चल रहा है। नींव के तीसरे चरण के तहत 20 फीट ऊंची प्लिंथ निर्माण का काम गतिमान है। मंदिर निर्माण में तांबे का भी प्रयोग (Use Of Copper In Temple Construction) किया जाएगा।

पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की 70 हजार पट्टियां लगेंगी। तांबे की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट ने प्रयास शुरू कर दिया है। मंदिर के पत्थरों को जोड़ने के लिए जो तांबा लगेगा वह 99.9 प्रतिशत शुद्ध होगा। तांबे के रूप में दो पत्थरों को जोड़ने में यू आकार में इसका इस्तेमाल होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से मिली जानकारी के अनुसार यह तांबा स्वदेशी होगा। मंदिर निर्माण में लगने वाले तांबे में करीब ढाई करोड़ का अनुमानित खर्च आएगा।

मंदिर निर्माण में एचसीएल में निर्मित तांबा का उपयोग होगा

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की इकाई इंडियन कॉपर काम्प्लेक्स (आइसीसी) कंपनी में निर्मित तांबा का उपयोग होगा। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड में स्थित मऊभंडार आइसीसी के तांबा की चमक राम मंदिर निर्माण में दिखेगी।

मंदिर निर्माण के कार्य में 70 हजार तांबे की पट्टियां लगेंगी। तांबे के पीस की लंबाई 256 एमएम, चौड़ाई 32 एमएम व थिकनेस 5-6 सेंटीमीटर होगी। राममंदिर निर्माण कार्य करा रही कंपनी एलएंडटी ने आइसीसी को तांबा के लिए डिमांड आर्डर (डीओ) भेज दिया है। इसकी कटिंग के लिए टेंडर भी निकाला गया है जो 02 फरवरी को खुलेगा।

दूसरा टेंडर पैकिंग का भी निकाला गया है। इसके बाद ट्रांसपोर्टिंग का भी टेंडर निकाला जाएगा। आइसीसी के तांबा की पहचान 99.9 प्रतिशत शुद्ध है। स्वदेशी तांबा का उपयोग ऐतिहासिक राम मंदिर के निर्माण कार्य में किया जाएगा।

तांबे के पीस का इस्तेमाल दो पत्थरों को जोड़ने में होगा

इस तांबे के पीस का इस्तेमाल अयोध्या राममंदिर निर्माण में दो पत्थरों को जोड़ने में होना है। मंदिर निर्माण में कई धातुओं का इस्तेमाल हो रहा है। तांबे के रूप में दो पत्थरों को जोड़ने में यू आकार में इसका इस्तेमाल होगा।

राममंदिर के नींव के तीसरे चरण के क्रम में प्लिंथ का निर्माण संचालित है। राममंदिर की प्लिंथ कुल सात लेयर में तैयार होगी। एक लेयर की मोटाई तीन फीट होगी। इस तरह राममंदिर 21 फीट ऊंचा बनाया जाएगा।

गर्भगृह को आकार देने का काम जल्द शुरू होगा

प्लिंथ निर्माण कार्य पूरा होने में करीब छह माह लग जाएंगे। प्लिंथ का काम पूरा होने के बाद गर्भगृह को आकार देने का काम शुरू होगा। गर्भगृह को आकार देने के लिए पत्थरों को जोड़ा जाएगा।

इसके लिए पत्थरों में होलफॉस भी बनाया जा रहा है। पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जाना है। जिनकी आपूर्ति अगले महीने से शुरू हो जाएगी।

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