Lucknow News : लखनऊ में छाया जहरीला स्मॉग, ग्रीन पटाखे रहे बेअसर
Lucknow News : दीवाली की रात के इंडेक्स की बात करें तो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर कोई डेटा ही नहीं है।
Lucknow News : दीवाली पर इस बार लोगों ने पिछले साल की कसर जम कर निकाल ली। जितने पटाखे फोड़े गए वो कोरोना महामारी आने के पहले के लेवल से भी ज्यादा थे। नतीजा ये हुआ कि लखनऊ में दिवाली की रात 8 बजे से जो धुएं की चादर छानी शुरू हुई वो रात 12 बजे तक गहरे स्मॉग में तब्दील हो चुकी थी। सड़क पर लग रहा था मानो कोहरा छाया हुआ हो। आलम ये है कि गोवर्धन पूजा (govardhan puja) के दिन यानी आज सुबह 11.45 पर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) 257 था जो डब्लूएचओ के मानक से 20 गुना ज्यादा है। पीएम 10 तो 273 था। एयर क्वालिटी इंडेक्स 274 है जो खतरनाक केटेगरी में आता है और ऐसी हवा में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
दीवाली की रात के इंडेक्स की बात करें तो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (pollution control board) की वेबसाइट पर कोई डेटा ही नहीं है। बोर्ड की वेबसाइट पर एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स (Ambient Air Quality Index) यानी एक्यूआई का देता सितंबर के बाद का है ही नहीं।
बहरहाल, लखनऊ में प्रदूषण उस हाल में हुआ है जबकि इस बार सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री के आदेश थे। ग्रीन पटाखे (green crackers) यानी ऐसे पटाखे जिनसे धुआं कम होता है और वायु प्रदूषण नहीं होता। लेकिन असलियत में दुकानदार सामान्य पटाखे खूब बेच रहे थे और लोग खरीद कर उनको छुड़ा भी रहे थे। इलाकाई लोगों के अनुसार ठाकुरगंज, चौक, आलमबाग, लाटूश रोड, अलीगंज, इन्दिरानगर, डालीबाग, गोमतीनगर आदि इलाक़ों में खूब आतिशबाजी हुई। रिहायशी मोहल्लों में रात 9 बजे से ही कूड़ा बीनने वाले ठेला भर भर के पटाखों के खाली डिब्बे आदि बीन कर ले जा रहे थे। बहुत से मोहल्लों में तो रात एक बजे तक पटाखे बजते रहे। लाटूश रोड पर तो रात 8 बजे ही सड़क पर पटाखों के कागजों की भरमार हो गई थी।
चूंकि पटाखों पर प्रतिबंध था सो पटाखे महंगी कीमत पर बेचे गए। फुलझड़ी का पैकेट तक 500 रुपये में बिक रहा था। इसी तरह बाकी पटाखों का यही हाल था। 100 रुपये से कम में कोई पटाखा था ही नहीं।
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