UP Election 2022: पश्चिम में जाटों को मानने उतरे आरएसएस के 1.5 लाख स्वयं सेवक, घर-घर बांट रहे पर्चा
Lucknow News: पश्चिम उत्तर प्रदेश में आरएसएस के करीब डेढ़ लाख कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से ही चुनाव से पहले लोगों को मतदान के लिए जागरूक करता रहा है। 2022 के लिए एक बार फिर इसकी शुरुआत पश्चिम उत्तर प्रदेश से हुई है।
Lucknow News: पश्चिम उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के बीच हुए गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की मुश्किलें बढ़ा दी है। यही वजह है कि स्थिति को भांप कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी पश्चिम उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) के मैदान में उतर गया है।
आरएसएस के करीब डेढ़ लाख कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं, हालांकि या खुले तौर पर बीजेपी या किसी अन्य दल का नाम तो नहीं ले रहे हैं लेकिन इनका और बीजेपी का एजेंडा एक जैसा होता है, लिहाजा दोनों की विचारधारा सामान होने से इसका फायदा कहीं ना कहीं बीजेपी (BJP) को मिलता है। वैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) हमेशा से ही चुनाव से पहले लोगों को मतदान के लिए जागरूक करता रहा है। 2022 के लिए एक बार फिर इसकी शुरुआत पश्चिम उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) से हुई है।
जाटों के मूड को मापने के लिए RSS के कार्यकर्ता जमीन पर उतरे
दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) में किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की वजह से कहा जा रहा है कि जाटों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी (BJP) से नाराज है यही वजह है कि जाटों के मूड को मापने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के कार्यकर्ता जमीन पर उतर आए हैं वह लोगों से मुलाकात कर उनके मूड को भाप रहे हैं। आरएसएस (RSS) के कार्यकर्ता इस में माहिर माने जाते हैं और इसकी रिपोर्ट के अनुसार उनके नेता आगे की रणनीति तैयार करते हैं। इस चुनाव में जहां समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने जाटों और गुर्जरों पर मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी आरएलडी से गठबंधन कर लिया है तो वहीं किसानों और जाटों की नाराजगी दूर करने और उनका दिल जीतने के लिए स्वयंसेवक संघ अपने स्तर से कार्य करने में लगे हैं।
किसान आंदोलन के बाद किसानों और गुर्जरों के एक बड़े तबके की BJP से नाराजगी
एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से यह खबर छापी है कि पश्चिम यूपी में आरएसएस के स्वयंसेवक शांति से अपने कार्य में जुटे हुए हैं। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के बाद किसानों और गुर्जरों के एक बड़े तबके की बीजेपी से नाराजगी है, उसे देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बड़े पैमाने पर अपने कार्यकर्ताओं को वहां पर लगाया है। चुनाव के ऐलान के बाद से ही जाट और गुर्जर स्वयं सेवकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है की वह अपने समाज की नाराजगी दूर कर उन्हें वापस लाएं।
आरएसएस के पदाधिकारी घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे
संघ नेताओं के अलावा आरएसएस के पदाधिकारी घर-घर जाकर पर्चे बांट रहे हैं जिसमें लिखा गया है कि जो गौ माता की रक्षा करें, जो दंगाइयों पर एक्शन ले, जो राष्ट्रवाद को बढ़ावा दें उन्हें वोट दें। हालांकि वह किसी पार्टी का खुलकर नाम तो नहीं ले रहे लेकिन यह मुद्दा बीजेपी से ही टैली करते हैं। लिहाजा उन्हें ही इसका फायदा हो सकता है। संघ ने अपने स्वयंसेवकों के लिए पश्चिम के 14 जिलों में प्रशासनिक क्षेत्र बनाएं हैं जहां से इसका संचालन किया जा रहा है।
पश्चिम की 71 सीटों पर खास नजर
आरएसएस की मेरठ क्षेत्र में पड़ने वाली 71 सीटों पर खास नजर है। 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इन 71 सीटों में से 52 पर जीत हासिल हुई थी। इनमें 45 सीटें ऐसी हैं जहां जाट प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि आरएसएस अपरोक्ष रूप से पश्चिम में बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार करने में लगा हुआ है। क्योकि इस बार आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच हुए गठबंधन ने बीजेपी के समीकरण को बिगाड़ दिया है उसमें सबसे असरदार किसानो की नाराजकी साबित हो रही है।
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