Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में रखी जायेगी सोने की अनोखी रामायण

Ram Mandir: इस विशेष प्रतिकृति का प्रत्येक पृष्ठ तांबे से बना 14 गुणे 12 इंच आकार का होगा, जिस पर राम चरित मानस के श्लोक अंकित होंगे।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-01-02 14:41 IST

Ram Mandir gold Ramayana (photo: social media )

Ram Mandir: अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में सोने की रामायण भी रखी जायेगी। ये खास रामायण भेंट की है मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्नी सरस्वती ने।

सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने जब पिछले महीने अपनी पत्नी सरस्वती के साथ अयोध्या का दौरा किया, तो उन्होंने पहले ही अपनी सारी संपत्ति एक विशेष उद्देश्य के लिए दान करने का मन बना लिया था। या उद्देश्य था मंदिर में भगवानकी मूर्ति के सामने राम चरित मानस की प्रतिकृति स्थापित करना।

कैसी है सोने की रामायण?

इस विशेष प्रतिकृति का प्रत्येक पृष्ठ तांबे से बना 14 गुणे 12 इंच आकार का होगा, जिस पर राम चरित मानस के श्लोक अंकित होंगे। 10,902 छंदों वाले इस महाकाव्य के प्रत्येक पृष्ठ पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी होगी।

गोल्डन प्रतिकृति में लगभग 480-500 पृष्ठ होंगे और यह 151 किलोग्राम तांबे और 3-4 किलोग्राम सोने से बनी होगी। प्रत्येक पृष्ठ 3 किलोग्राम तांबे का होगा, जिसे चढ़ाने के लिए 4-5 ग्राम सोने की आवश्यकता होगी। धातु से बनी इस रामायण का वजन 1.5 क्विंटल से अधिक होगा।

चेन्नई में बनी है अनोखी कृति

लक्ष्मीनारायणन ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट पर उन्हें लगभग 4.5-5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसका निर्माण चेन्नई के प्रसिद्ध वुममिडी बंगारू ज्वैलर्स द्वारा किया जाएगा, जिन्होंने भारत के नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल को डिजाइन और तैयार किया था। प्रदर्शनी बनाने में उन्हें कम से कम तीन महीने लगेंगे। लक्ष्मीनारायणन का कहना है कि ज्वैलर्स ने गारंटी दी है कि सोना कम से कम 100 साल तक चलेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर 100 साल बाद भी जरूरत पड़ी तो वह दूसरी परत चढ़ाने के लिए राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट को अतिरिक्त धनराशि दान करेंगे। लक्ष्मीनारायणन को उम्मीद है कि राम नवमी यानी 17 अप्रैल, 2024 तक स्वर्ण प्रतिकृति स्थापित कर दी जाएगी। रामायण को गर्भगृह में राम लला की मूर्ति से सिर्फ 15 फीट की दूरी पर एक पत्थर के आसन पर रखा जाएगा। इसके शीर्ष पर चांदी से बना राम का पट्टाभिषेक होगा, जिसकी एक तस्वीर 22 फरवरी को होने वाले मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों को दिए गए निमंत्रण कार्ड पर है। स्वर्ण प्रतिकृति को कठोर कांच के कक्ष में पूर्ण निर्वात में रखा जाएगा ताकि न तो हवा और न ही धूल इसे छू सके।

सब संपत्ति बेच देंगे

लक्ष्मीनारायणन परियोजना के लिए आवश्यक राशि जुटाने के लिए अपनी सभी संपत्तियां बेच देंगे और अपनी बैंक जमा राशि खत्म कर देंगे। उन्होंने राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय से संपर्क किया, जिन्होंने प्रतिकृति को मंदिर के गर्भगृह में रखने की सहमति दी।

लक्ष्मीनायरणन ने कहा : मैंने एक अच्छा और सार्थक जीवन जीया है। प्रमुख पदों पर कार्य किया। रिटायरमेंट के बाद भी अच्छा पैसा मिला। अब मेरे पास ज्यादा खर्चे नहीं हैं। मैं अपनी पेंशन का आधा भी खर्च नहीं कर सकता। इसलिए, भगवान ने मुझे जो दयालुता से प्रदान किया है, मैं उसे उसका एक हिस्सा लौटाने की कोशिश कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन की अच्छी बचत को किसी ऐसे प्रोजेक्ट पर खर्च नहीं करना चाहते जहां उन्हें यह पता न हो कि इसका उपयोग कैसे किया जाएगा। इसीलिए काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने इसे अयोध्या में मूर्तियों के सामने रखी जाने वाली सोने की परत चढ़ी रामायण पर खर्च करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ''इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता था।''

उनकी एक ही बेटी प्रियदर्शिनी है, जो अमेरिका में सेटल है।

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