Banda News: खरीद बंद होने के बाद चरखारी MLA को याद आए किसान, मामूली खरीद केंद्र कर्मियों के खिलाफ चीफ सेक्रेटरी से उच्च स्तरीय जांच की मांग

Banda News: जिला प्रशासन से खरीद केंद्र में मची धांधलियों की जांच कराना संभव नहीं था, यह चरखारी विधायक राजपूत जानें। पर, इसमें दो राय नहीं कि करीब महीने भर से अपने निर्वाचन क्षेत्र में मूंगफली खरीद को लेकर किसानों की हाय-तौबा की उन्होंने थोड़ा देर से सही, लेकिन दुरुस्त सुध ली है।;

Report :  Om Tiwari
Update:2025-01-31 20:07 IST

Banda News ( Pic- Social Media )

Banda News: अमूमन ऐसा देखने को नहीं मिलता कि न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद केंद्र कर्मचारियों की मनमानी और लूट-खसोट की शिकियत किसी माननीय को शिकायत सीधे सूबे के चीफ सेक्रेटरी से करनी पड़े। लेकिन चरखारी के BJP विधायक ब्रजभूषण राजपूत उर्फ गुड्डू भैया के समक्ष यही नौबत आन पड़ी है। उन्होंने चीफ सेक्रेट्री को भेजे पत्र में किसानों से मूंगफली खरीद में गड़बड़ी किए जाने हवाला देकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने पत्र की प्रति चित्रकूटधाम कमिश्नर और महोबा डीएम को भी भेजी है।

क्या महोबा जिला प्रशासन विधायक की नहीं सुनता? 

क्या महोबा जिला प्रशासन से खरीद केंद्र में मची धांधलियों की जांच कराना संभव नहीं था, यह चरखारी विधायक राजपूत जानें। पर, इसमें दो राय नहीं कि करीब महीने भर से अपने निर्वाचन क्षेत्र में मूंगफली खरीद को लेकर किसानों की हाय-तौबा की उन्होंने थोड़ा देर से सही, लेकिन दुरुस्त सुध ली है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत मूंगफली खरीद की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद क्षेत्रीय विधायक मानो नींद से जागे हैं। अदने कर्मचारियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की मांग हो रही है।

खरीद के दौरान मची रही हाय-तौबा, सत्यापन के नाम पर होता रहा शोषण

डेढ़ महीने तक खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते किसान अपनी मूंगफली की तौल कराने की गुहार लगाते रहे। पर क्या अफसर और क्या माननीय, किसानों की पीड़ा पर किसी का भी दिल नहीं पसीजा। अब, करोड़ों के कथित मूंगफली खरीद घोटाले पर सबकी नजरें टेढ़ी होने लगी हैं। मूंगफली खरीद की तारीख निकलने के बाद तमाम तथाकथित किसान मसीहा भी उभर कर सामने आए हैं। किसान अपनी मूंगफली उपज से अधिक तो नहीं बेच रहा, इसके सत्यापन को लेकर राजस्व विभाग के कर्मचारियों और अफसरों की मनमानी लोगों की जुबां में चढ़ी रही है। किसानों को सत्यापन की लंबी प्रक्रिया से गुजारा गया। हरेक स्तर पर प्रति कुंतल हजार रुपए तक वसूलने का आरोप लगा। किसान बेचारगी में रोजाना भटकने की बजाए बिचौलियों पर निर्भर हो गए। डेढ़ महीने तक 30 फीसदी किसानों की और 70 फीसदी व्यापारियों की मूंगफली खरीदी जाती रही।

मूंगफली खरीद के अंतिम दिन सहकारिता विभाग ने महसूस की गड़बड़ी

29 जनवरी को खरीद के अंतिम दिन सहकारिता विभाग के अफसरों को गड़बड़झाला की बू महसूस हुई। दो अदने कर्मचारियों को रजिस्टर स्टाक के सापेक्ष आन लाइन फीडिंग में अंतर का दोषी बताते हुए दोनों के खिलाफ एफआईआर कराकर हाथ झाड़ लिए गए। अब सबकी नजरें किसानों के मसीहा और इलाकाई विधायक ब्रजभूषण राजपूत की शिकायत पर टिकी हैं। देखना होगा, चीफ सेक्रेटरी को भेजा उनका पत्र क्या रंग लाता है या नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला रहता है।

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