लखनऊ: यह शिक्षक दिवस यूपी के लिए बड़ा ही खास रहा। प्रदेश सरकार राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने की तैयारी में है। दिनों-दिन आने वाली नई तकनीकों से अब केवल कान्वेन्ट के छात्र ही नहीं बल्कि गांव-देहात के प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थी और शिक्षक भी रूबरू होंगे। शिक्षकों की उपस्थिति रहेगी तो मिड-डे-मील की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी।
इतना ही नहीं अब प्राथमिक स्कूलों में बल्ब भी चमकेंगे और पंखे की हवा भी मिलेगी। प्रदेश सरकार ने सभी प्राथमिक स्कूलों में बिजली का पहुंचाने का इंतजाम शुरू कर दिया है।शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों के पुरस्कार समारोह में प्रेरणा ऐप लांच करके जहां प्राथमिक शिक्षा में ऐतिहासिक कार्य कर दिया तो वहीं बेसिक शिक्षा मंत्री का स्वतंत्र प्रभार संभालने वाले सतीश द्विवेदी ने बेसिक शिक्षा विभाग के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लेकर बेसिक शिक्षा विभाग का कायाकल्प करने की शुरूआत कर दी है।
स्कूलों में लगेंगी बायोमेट्रिक मशीनें
प्रदेश सरकार ने यूपी की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जो ताबड़तोड़ फैसले लिए उसके तहत अब हर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में बायोमेट्रिक मशीनें लगेंगी, जिसमेंसभी को अपनी हाजिरी लगानी होगी। इसी के साथ हर स्कूल में एक टैबलेट दिया जाएगा। मंत्री, अपर मुख्य सचिव से लेकर बीईओ तक स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और लिखित रिपोर्ट सौंपेगे। इतना ही नहीं निरीक्षण के लिए जाने वाले अधिकारी भी अपनी हाजिरी विद्यालय के टैबलेट में लगाएंगे। हर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी रोज सुबह एक घंटे कार्यालय में बैठेंगे और लोगों से मिलेंगे।
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सभी प्राथमिक स्कूलों में होगी बिजली
प्रदेश सरकार ने सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बिजली कनेक्शन अनिवार्य कर दिया है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों का बिजली बिल भरने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी जबकि शहरी क्षेत्रों के बिजली बिल भुगतान के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं तय हो पाई है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए वित्त विभाग से मांग कर चुका है। इसके साथ ही बाल संरक्षण गृहों में रहने वाले बच्चे भी अब प्राथमिक विद्यालयों में ही पढ़ेंगे।
बनेगा शिक्षा महानिदेशालय
निदेशक बेसिक शिक्षा, निदेशक सर्व शिक्षा अभियान, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, राज्य विज्ञान संस्थान और साक्षरता समेत कई हिस्सों में बंटे बेसिक शिक्षा विभाग और शासन के बीच समन्वय के लिए अब बेसिक शिक्षा विभाग में महानिदेशक का पद सृजित कर एक महानिदेशालय बनाया जाएगा और सभी निदेशालयों को इससे जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद का कार्यालय भी प्रयागराज से राजधानी लखनऊ में ही लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे शिक्षकों को अब अपनी समस्याओं के लिए लखनऊ से प्रयागराज का चक्कर नहीं लगाना होगा। शिक्षकों की आम समस्या है कि निदेशालय में उन्हें कुछ बताया जाता है और जब वह प्रयागराज पहुंचता है तो वहां उन्हें वापस लखनऊ भेज दिया जाता है।
ऐप के जरिये करना होगा आवेदन
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की छुट्टी के लिए भी अब ऑनलाइन व्यवस्था होगी। शिक्षक को प्रेरणा एप के माध्यम से ऑनलाइन छुट्टी के लिए आवेदन करना होगा। छुट्टी की मानीटरिंग बेसिक शिक्षा निदेशालय से होगी। दो-तीन दिन में संबंधित अधिकारी छुट्टी मंजूर नहीं करेगा तो उच्चाधिकारी उससे स्पष्टीकरण मांगेगे। मातृत्व अवकाश और बाल्यकाल देखरेख अवकाश के लिए अब खंड शिक्षा अधिकारी के चक्कर लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी और यह अवकाश भी इसी ऐप पर आवेदन करने से मिलेंगे। इसके साथ ही अगर निरीक्षण के दौरान शिक्षक स्कूल में नहीं मिलता है और उसकी छुट्टी का आवेदन ऑनलाइन नहीं है तो उसे अनुपस्थित मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
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निगम के जरिए स्कूली खरीद
प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को यूनीफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग, पाठ्य-पुस्तकें, जूता-मोजा बेसिक शिक्षा विभाग देता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर विद्यालय प्रबंध समिति तक वर्ष भर इनकी खरीद में व्यस्त रहते है, जिससे शैक्षिक कार्य बाधित होता है। इसके अलावा हर साल इसकी खरीद और वितरण में तमाम खामियां सामने आती हैं और अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। अब प्रदेश सरकार इन सभी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिए अलग से निगम बनाने जा रही है।
योग्य अफसर ही बनाए जाएंगे बीएसए
प्राथमिक शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी होता है। अब बीएसए तैनाती के लिए प्रदेश सरकार एक पारदर्शी व्यवस्था करने जा रही है। नए तरीकों से काम करने वाले उत्साही व योग्य अधिकारियों को ही बीएसए बनाया जाएगा। इसके लिए बीएसए स्तर के सभी अधिकारियों का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाएगा और 100 सबसे अच्छे अधिकारियों को चुन कर एक ग्रुप तैयार किया जाएगा और उन्हीं में से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की तैनाती की जाएगी।
नई तबादला नीति, प्रक्रिया ऑनलाइन होगी
प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों का तबादला अक्सर विवादों के घेरे में रहता है। शिक्षकों के तबादले में भ्रष्टाचार की बात आम है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने अब इसके लिए एक तबादला नीति बना दी है, जिसके तहत अब प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले के आवेदन अक्टूबर से लिए जाएंगे और मार्च तक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसलिए इसमें किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की संभावना नहीं रहेगी। प्राथमिक विद्यालयों में पुरुषों के लिए एक विद्यालय में तीन साल और महिला शिक्षकों के लिए एक साल की सेवा का नियम बनाया गया है। इसके अलावा गंभीर रोग से ग्रस्त शिक्षकों व सैनिकों की पत्नियों को वरीयता देते हुए नियमों में छूट दी जाएगी।
जांच के लिए बनेगा उडऩदस्ता
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत कई योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं की लगातार मॉनीटरिंग के लिए प्रदेश सरकार ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में उडऩ दस्ते का गठन किया है। इस उडऩ दस्ते में सहायक वित्त व लेखाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक व मिड डे मील के जिला समन्वयक शामिल होंगे। ये उडऩ दस्ते मंडलवार बनाए जाएंगे और हर माह दो बार मंडल के किसी भी जिले में निरीक्षण करेंगे। उडऩदस्ता निरीक्षण की रिपोर्ट जिलाधिकारी, संबंधित स्कूल, सर्व शिक्षा निदेशालय को दी जाएगी।
ऐप के जरिये होगी निगरानी
बेसिक शिक्षा विभाग अब हर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक टैबलेट देगा। इस टैबलेट में इंफ्रास्ट्रक्चर और मिड-डे-मील की मॉनीटरिंग के लिए कायाकल्प ऐप होगा तो स्कूलों के निरीक्षण व शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति के लिए प्रेरणा ऐप, स्कूल प्रबंध समितियों की मॉनीटरिंग व बच्चों का मूल्यांकन कर विद्यालय का रिपोर्ट कार्ड संबंधी ऐप भी होगा। इसके साथ ही इस टैबलेट में दीक्षा और निष्ठा नाम के दो ऐप और होंगे जिनमे यूपी के विद्यालयों का पूरा डाटा केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
चार डिजिट का जारी होगा हेल्पलाइन नंबर: द्विवेदी
अभी एक पखवाड़े पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार में बेसिक शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले सतीश द्विवेदी का कहना है कि वह स्वयं भी शिक्षक रहे हैं। इसलिए शिक्षकों और विद्यार्थियों की समस्याओं को बहुत अच्छी तरह समझते है। वे कहते हैं कि हमारे पास बहुत ही योग्य शिक्षक हैं, जरूरत केवल इन्हे सही दिशा देने की है। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों की जो तस्वीर अब तक पेश की जाती रही है, हमारा प्रयास उसे बदलने का है और सरकारी प्राथमिक स्कूलों को शहरों के कान्वेंट स्कूलों के स्तर पर लाने का है।
बनेगा मीडिया सेल
उन्होंने बताया कि वह जल्द ही विभाग का एक मीडिया सेल बनाने जा रहे हैं जिससे विभाग के बारे में मीडिया में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जाए। हमारे विद्यालयों में बहुत से टैलेंट है, जो अवसर न मिलने के कारण सामने नहीं आ पाते हैं। उनकी प्रतिभा को सामने लाने के लिए विभाग को सोशल मीडिया पर भी सक्रिय करेंगे। फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर विभाग के खाते खोले जाएंगे। इसके साथ ही जल्द ही विभाग चार डिजिट का एक हेल्पलाइन नम्बर भी जारी करेगा।
खत्म होगी शिक्षकों की दौड़-धूप
विभाग में भ्रष्टाचार के बारे में उन्होंने कहा कि विगत में जब वे शिक्षक थे तो वह स्वयं इसका शिकार हो चुके है। वे बताते हैं कि शिक्षकों की बहुत बड़ी समस्या उनके कार्यालय के कार्य रहते हैं, जिसके लिए उन्हें बहुत दौड़-धूप करनी पड़ती है। लेकिन अब हम कुछ ऐसे ऐप ला रहे हैं जिससे शिक्षकों की यह दौड़-धूप समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने बच्चों के लिए स्कूलों में कक्षा शुरू करने से पहले योग करवाने और शिक्षण कार्य समाप्त होने पर खेलकूद के आयोजन करने का आदेश दिया है। यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन 15 मिनट की ऐसी प्रक्रिया जरूर करनी चाहिए जिससे शिक्षक और विद्यार्थी में शिक्षा के अलावा भी एक अलग रिश्ता बने।
किसी ने सराहा तो किसी ने कोसा
मुरलीपुरवा प्राथमिक विद्यालय, बक्शी का तालाब की प्रधानाध्यापिका रेनू वर्मा सरकार द्वारा किए गये बदलावों को अच्छा मानती है। इनका कहना है कि गैरशिक्षण कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने पर भी प्रदेश सरकार को रोक लगानी चाहिए। इससे शिक्षण कार्य बहुत ज्यादा प्रभावित होता है और बच्चों का नुकसान होता है।
सहायक शिक्षिका शोभना श्रीवास्तव का कहना है कि प्रेरणा ऐप और पोर्टल एक अच्छा प्रयोग है, इससे प्रॉक्सी शिक्षकों पर रोक लगेगी और प्राथमिक शिक्षकों के प्रति समाज का जो नजरिया है वह बदलेगा। शोभना का मानना है कि ऐप के लिए शिक्षकों का मोबाइल इस्तेमाल करने के बजाए हर स्कूल में टैबलेट दिया जाना चाहिए। शिक्षकों का मोबाइल इस्तेमाल करने से उनका डाटा लीक होने का खतरा रहेगा।
गोयला प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका कमलेश कुमारी कहती हैं कि प्रदेश सरकार के इन फैसलों से प्राथमिक शिक्षा को लाभ होगा। ऐप के आने के बाद अब शिक्षकों की बीएसए कार्यालय की भागदौड़ कम हो जायेगी। अभी तक मैटरनिटी लीव या बच्चे की देखभाल की छुट्टïी के लिए ब्लाक और बीएसए दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब पोर्टल पर ही ये काम हो जायेगा और अगर अधिकारी इसमें विलंब करेंगे तो उनसे भी पूछताछ होगी।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, लखनऊ के अध्यक्ष सुरेश जायसवाल कहते हैं कि प्रेरणा ऐप व पोर्टल के कुछ सकारात्मक पक्ष है तो कुछ नकारात्मक पक्ष भी है। वह कहते हैं कि प्रदेश सरकार शिक्षकों को संदेह की नजर से देख रही है, लेकिन शिक्षक चोर नहीं है। ऐप और पोर्टल को चालू करना है तो केवल हाजिरी लगाने के लिए नहीं बल्कि अन्य कार्य भी शुरू होने चाहिए। अभी किसी भी विद्यालय को टैबलेट नहीं बंटा है। बाराबंकी में शिक्षकों को अपने मोबाइल पर प्रेरणा ऐप डाउनलोड करना पड़ा है और उसमें भी केवल हाजिरी ही जा पा रही हैं। इससे शिक्षकों का डाटा लीक होने की संभावना है।
प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह प्रेरणा ऐप और पोर्टल को मानसिक तनाव देने वाला बताते हैं। वह कहते हैं कि यह निजता के अधिकार का हनन है। सुशील कहते हैं कि शिक्षक उपस्थिति देने से पीछे नहीं हट रहा है इसके लिए बायोमैट्रिक हाजिरी की व्यवस्था की जा सकती है। शिक्षकों का मोबाइल इस्तेमाल करने से उनकी निजी जानकारी लीक होने के संभावना है। वह कहते हैं कि विद्यालय नियमित न जाने वाले शिक्षक तो है लेकिन कहीं भी प्रॉक्सी शिक्षक नहीं है। पूरे प्रदेश में प्राक्सी लेखपाल घूम रहे हैं, वहां इसे क्यों नहीं लागू किया जाता?
समय-समय पर किए गए बदलाव
हमारे देश में प्राचीन शिक्षा पद्धति गुरुकुल प्रणाली में निहित थी। कालान्तर में मंदिर, मठों और मस्जिदों में शिक्षा का क्रम चलता रहा। देश की आजादी के पूर्व ब्रिटिश शासकों ने वर्ष 1858 में केन्द्र सरकार के अधीन म्योर सेंट्रल कॉलेज इलाहाबाद के तहत शिक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ की थी, जिसमें प्राथमिक स्तर से विश्वविधालय स्तर तक की शिक्षा का संचालन करने का अधिकार था। वर्ष 1917 में सेडलर कमीशन के आधार पर विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा को माध्यमिक स्तर की शिक्षा से अलग किया गया। इसी क्रम में 31 मार्च 1923 को राजाज्ञा जारी कर म्योर सेंट्रल कॉलेज इलाहाबाद से विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा को छोडक़र शेष को इससे अलग कर दिया गया।
1972 में शिक्षा निदेशालय का विभाजन
माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा की देखरेख के लिए निदेशक उप्र शासन का पद सृजित किया गया। इसके अन्तर्गत उच्च, माध्यमिक, प्रशिक्षण एवं प्राथमिक शिक्षा थी। पहली अप्रैल, 1923 से 31 मार्च 1939 तक यह उत्तर प्रदेश सचिवालय का ही अंग रहा और पहली अप्रैल 1939 से सचिवालय से अलग कर इसे अलग विभाग बनाया गया। वर्ष 1972 तक शिक्षा निदेशक के अन्तर्गत प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च तथा प्रशिक्षण स्तर की शिक्षा संचालित थी।
शिक्षा के बढ़ते कार्यों, विद्यालयों एवं नये-नये प्रयोगों के संचालन तथा कार्यक्रम को अधिक गतिशील एवं प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश शासन ने 1972 में शिक्षा निदेशालय का विभाजन कर शिक्षा निदेशक बेसिक, शिक्षा निदेशक माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा निदेशक के पदों का सृजन कर दिया। तीन वर्ष बाद 1975 में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा का एकीकरण कर दिया गया जबकि उच्च शिक्षा विभाग अलग चलता रहा।
1985 में बना बेसिक शिक्षा निदेशालय
वर्ष 1985 में बेसिक शिक्षा को अधिक प्रभावी और गतिशील बनाने के लिए अलग से बेसिक शिक्षा निदेशालय की स्थापना की गई। उक्त तीन निदेशालयों के अतिरिक्त प्रशिक्षिण एवं अनुसंधान संस्थाओं को गतिशील एवं प्रभावी नियंत्रण देने के उददेश्य से वर्ष 1981 में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की स्थापना की गई तथा इसके लिए भी अलग से एक निदेशक की नियुक्ति की गयी।प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषा, राज्य शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण, साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा, मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण तथा शोध कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अलग-अलग निदेशालय स्थापित किए गए।
वित्तीय मामलों के लिए लेखा संगठन
प्राथमिक शिक्षा से सम्बन्धित गैर सरकारी निजी विद्यालयों को मान्यता एवं सामान्य नियंत्रण के लिए 25 जुलाई 1972 को उप्र. बेसिक शिक्षा परिषद का गठन किया गया तथा इन विद्यालयों कि देखरेख के लिए मंडल स्तर पर मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक ) तथा जिला स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा विकासखंड स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारियों की व्यवस्था की गई।
वर्ष 1986 में परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों तथा कर्मचरियों के वेतन वितरण, सामान्य भविष्य निर्वाह निधि की धनराशि के रखरखाव और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान के लिए बेसिक शिक्षा परिषद में लेखा संगठन की भी स्थापना की गई और जिलों में वित्त एवं लेखाधिकारी (बेसिक शिक्षा) तथा परिषद मुख्यालय पर वित्त नियंत्रक बेसिक शिक्षा का पद सृजित किया गया।