तो एक बार भाजपा को फिर ले डूबी अंतर्कलह की काली छाया

2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बात हो अथवा 2019 में हुए लोकसभा चुनाव तथा पुनः 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव की बात हो, भाजपा ने हर समय राजेश सिंह को ही दांव पर लगाया लेकिन वह कभी भी सफल होते नही दिखे।

Update:2019-10-24 20:03 IST

अंबेडकरनगर: आखिरकार वही हुआ जिसकी आशंका थी। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ -साथ प्रभारी मंत्री व अन्य मंत्रियों व विधायकों की मौजूदगी भी भाजपा प्रत्याशी राजेश सिंह को जीत दिला पाने में नाकाम रही ।

2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बात हो अथवा 2019 में हुए लोकसभा चुनाव तथा पुनः 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव की बात हो, भाजपा ने हर समय राजेश सिंह को ही दांव पर लगाया लेकिन वह कभी भी सफल होते नही दिखे। शायद इस असफलता के पीछे जो अहम कारण था, भाजपा उसके मूल में जाने का प्रयास ही नही कर रही थी। स्थानीय स्तर पर राजेश सिंह की कार्यशैली का असर एक बार फिर भाजपा को ले डूबा।

निर्णायक बने ब्राहम्ण मतदाता

गत विधानसभा चुनाव की तरह ही पार्टी एक बार फिर तीसरे पायदान पर पंहुच गई। मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष की जनसभाएं भी भाजपा के पक्ष में माहौल बना पाने में सफल नही हो सकी। नेवादा मेें हुई मुख्यमंत्री की जनसभा के उपरान्त पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी भी भाजपा की हार का प्रमुख कारण बना। भाजपा की हार के मूल में जो मुख्य कारण रहा वह था ब्राहम्ण मतदाताओं का रूझान सुभाष राय की तरफ हो जाना।

सवाल, आखिर एक ही व्यक्ति पर बार -बार क्यों दांव लगाती रही भाजपा

पार्टी तमाम कोशिशों के बावजूद इन मतदाताओं को अपने साथ ला पाने में सफल नही हो पायी। ऐसी परिस्थिति में पूर्व विधायक पवन पाण्डेय ने भी ब्राहम्ण मतदाताओं को सपा के पक्ष में मोड़ने का हर सम्भव प्रयास किया। इसका परिणाम यह रहा कि जबरदस्त उतार-चढ़ाव के बीच सपा जीत दर्ज करने में सफल रही।

अहम बात यह रही कि सपा प्रत्याशी ने तीसरे स्थान पर रहते हुए भी छलांग लगाकर पहला पायदान छू लिया लेकिन भाजपा प्रत्याशी पहले स्थान पर तो नही पंहुच सका लेकिन वह खिसक कर तीसरे स्थान पर अवश्य चला गया। भाजपा नेतृत्व ने यदि समय रहते जिला संगठन को लेकर कठोर कदम नही उठाये तो आने वाले चुनाव मंे भी भाजपा का यही हश्र होने से कोई रोक नही पायेगा।

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