छत्रपति शाहू जी ने शिक्षा के साथ संस्कृति को भी प्रोत्साहित किया: राम नाईक
छत्रपति शाहूजी महाराज ने समानता, बंधुत्व व उदारवादी सिद्धांत को आधार बनाते हुए आरक्षण की व्यवस्था शुरू की। छत्रपति शाहूजी महाराज शिक्षा के साथ-साथ कला, संस्कृति, खेल व साहित्य को भी प्रोत्साहित करते थे। आज उनके आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है।
लखनऊ: छत्रपति शाहूजी महाराज ने समानता, बंधुत्व व उदारवादी सिद्धांत को आधार बनाते हुए आरक्षण की व्यवस्था शुरू की। छत्रपति शाहूजी महाराज शिक्षा के साथ-साथ कला, संस्कृति, खेल व साहित्य को भी प्रोत्साहित करते थे। आज उनके आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है।
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ये बातें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कही। वे छत्रपति शाहूजी महाराज को राजर्षि की उपाधि मिलने के सौ वर्ष पूरे होने पर रविवार को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को विडियो रिकार्डिंग के माध्यम से संंबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने छत्रपति शाहूजी महाराज को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज सच्चे अर्थों में राजर्षि थे, वे राजा होकर भी ऋषि व्रत का पालन करने वाले महामानव थे।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को वीडियो रिकार्डिंग के माध्यम से किया संबोधित
राज्यपाल इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे लेकिन अस्वस्थ होने के कारण वे विश्वविद्यालय नहीं जा सके। इस कारण उनका विचारों को विडियो रिकार्डिंग के माध्यम से सभा में उपस्थित लोगों को सुनाया गया।
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राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है, जो संविधान के अनुरूप चलता है। संविधान ने 18 वर्ष व उससे अधिक के भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। वर्तमान में लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। चुनाव को मतदाता की भागीदारी के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है। स्वयं भी मतदान करें और दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करें। मतदान सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है।