चंदौली का चावल अब पहुंचेगा विदेश तक, दोहा-कतर में होगा निर्यात
बनारस के प्रसिद्ध लंगड़ा आम और गाज़ीपुर की हरी मिर्च के बाद अब चंदौली का चावल भी सात समंदर पार अपनी चमक बिखेरने के लिए तैयार है. चंदौली के मशहूर काला चावल की डिमांड को देखते हुए सरकार अब इसे विदेशों में निर्यात करने जा रही है.
वाराणसी: बनारस के प्रसिद्ध लंगड़ा आम और गाज़ीपुर की हरी मिर्च के बाद अब चंदौली का चावल भी सात समंदर पार अपनी चमक बिखेरने के लिए तैयार है. चंदौली के मशहूर काला चावल की डिमांड को देखते हुए सरकार अब इसे विदेशों में निर्यात करने जा रही है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय लगभग 550 मीट्रिक टन चावल दोहा कतर को निर्यात करने जा रहा है.
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काला चावल को मिलेगी ग्लोबल पहचान
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एम अंगामुथु बुधवार को सुबह 10 बजे हरहुआ रिंग रोड चौराहा सिंधोरा रोड अंडर पास पर हरी झंडी दिखाकर काला चावल और अन्य क्षेत्रीय चावल के एक बड़े इंसाइमेंट को वाराणसी से दोहा के लिये रवाना करेंगे. वाराणसी क्षेत्र से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के बारे में अन्य गतिविधियों के साथ शुरू की जाएगी. दरअसल बनारस का लंगड़ा एवं दशहरी आम, गाज़ीपुर की हरी मिर्च और मटर का पहले से ही विदेशों में निर्यात किया जा रहा है.अब वाराणसी का सांबा चावल व चंदौली का काला चावल भी विदेश यात्रा पर बुधवार को रवाना होगा. इसके तहत 520 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल अर्थात सांबा चावल और अन्य तथा चंदौली का 12 मीट्रिक टन काला चावल दोहा कतर को निर्यात किया जायेगा.
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किसानों की आय होगी दोगुनी
डॉ सी.बी. सिंह (क्षेत्रीय प्रभारी एपीडा) ने बताया कि एपीडा वाराणसी में भी कार्यालय खोलने जा रहा है. एपीडा कार्यालय का उद्घाटन भी 17 दिसंबर 2020 को एपीडा कार्यालय सर्किट हाउस के सामने, कम्पाउंड ऑफ हॉर्टिकल्चर विभाग में होगा. उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से किसानों की आय दोगुना करने की प्रधानमंत्री का संकल्प अब सिद्धि की ओर अग्रसर है.
रिपोर्ट: आशुतोष सिंह