पेड़ के नीचे लगती है क्लास, जानवरों के साथ पढ़ते हैं बच्चे

शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वर्ती और वर्तमान सरकारें कितनी सजग हैं उसके लिये जयसिंहपुर तहसील इलाके के लामा बनकटा गांव नोनरा पुरवे में चल रहे प्राइमरी स्कूल को देखने वाला है। पिछले एक दशक से स्कूल की बिल्डिंग के अभाव में यहां पेड़ के नीचे क्लास

Update: 2018-03-15 12:13 GMT
पेड़ के नीचे लगती है क्लास, जानवरों के साथ पढ़ते हैं बच्चे

असगर नकी

सुल्तानपुर: शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वर्ती और वर्तमान सरकारें कितनी सजग हैं उसके लिये जयसिंहपुर तहसील इलाके के लामा बनकटा गांव नोनरा पुरवे में चल रहे प्राइमरी स्कूल को देखने वाला है। पिछले एक दशक से स्कूल की बिल्डिंग के अभाव में यहां पेड़ के नीचे क्लास लग रही है , और बच्चे जानवरों के साथ पढ़ रहे हैं।

75 बच्चों की जान हथेली पर

-ये पूरा मामला जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित बनकटा गांव के नोनरा पुरवे में स्थित प्राइमरी स्कूल का है।

-पिछले 11 सालों से क्या गर्मी, क्या सर्दी और क्या बरसात बच्चे इन मौसम में यहां खुले आसमान और पेड़ों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं।

-तालाब से सटी आम की बाग और उस पर जानवरों का तबेला, ऐसे में 75 बच्चे हर दिन जान हथेली पर लेकर यहां आते और जाते हैं।

-स्कूल का सारा सामान रसोइया के घर पर बच्चे रोज़ रखते और रोज़ लाते हैं।

ग्रामीणों ने विधायक से लेकर नेताओं तक से किया शिकायत, सुनने को तैयार नही कोई

-बच्चों, गार्जियन और ग्रामीणों की मानें तो धूल-मिट्टी से बच्चे परेशान हो जाते हैं।

-एक पेड़ के नीचे धूप ज़्यादा हुई तो दूसरे पेड़ की नीचे बैठा दिया जाता है।

-मिड-डे मिल के तहत मिलने वाले भोजन की व्यवस्था तो है लेकिन इसके लिये बच्चों को रसोइया के घर तक का प्रतिदिन सफर तय करना पड़ता है।

-ग्रामीण बतातें हैं की स्कूल की जो बिल्डिंग बनी है उस पर न प्रधान न लेखपाल कोई कारवाई नहीं कर रहे।

-ग्रामीणों ने बताया कि विधायक से लेकर नेताओं तक से बार-बार शिकायत किया लेकिन कोई सुनने को तैयार नही है।

पेड़ के नीचे लगती है क्लास, जानवरों के साथ पढ़ते हैं बच्चे

अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक जानते हैं सब

-बच्चों के साथ-साथ खुद स्कूल के टीचर इस समस्या से दो चार हैं।

-प्रभारी प्रिंसिपल राम बहादुर वर्मा का कहना है कि हर तरह की दिक़्क़त है, इधर धूप आ जाये तो उस पेड़ के नीचे और उधर आ जाये तो उस पेड़ के नीचे।

-बच्चे टायलेट के लिये जायें तो 4 टीचर हैं जो नज़र रखते हैं, छोटे बच्चे हैं तो बड़े बच्चों को साथ भेजा जाता है।

-जबकि इस पूरी समस्या को अधिकारी से लेकर कर्मचारी सब जानते हैं लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था देने के लिये कोई तैयार नहीं है।

BSA रो रहे मानक का रोना

-मामलें में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी (बीएसए) कौस्तुभ सिंह का कहना है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

-जो भी विद्यालय है वो एक किलोमीटर की दूरी पर है।

-अगर हम विद्यालय को शिफ्ट भी करें तो वो मानक पर पूरा नहीं होगा।

-हमारा प्रयास यही रहेगा कि हम जल्दी-जल्दी पैरवी करके कोर्ट का स्टे वैकेट करा लें ताकि विद्यालय बन सके।

सांसद ने वैकल्पिक व्यवस्था देने का दिलाया भरोसा

-उधर इस मामले में जब ज़िले के सांसद वरुण गांधी से फोन पर बात किया गया तो उन्होंंने कहा आजतक ये मामला उनके संज्ञान में नहीं लाया गया।

-उन्होंंने कहा कि अब मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है तो जल्द ही निधि से वैकल्पिक व्यवस्था दिलाये जाने का भरोसा दिलाया है।

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